कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

खेतीकिसानी करने वाले 70 वर्षीय कृषक शिवजी साह अपनी 65 वर्षीया बीमार पत्नी सुनंदा के साथ झरिया जैसे छोटे शहर के एक गांव में रहते थे. जबकि उन का 25 वर्षीय इकलौता पुत्र शुभेंदु और उन की 22 वर्षीया बहू सुधा पुणे में नौकरी करते थे. दोनों अच्छा पैसा कमाते थे. लेकिन शुभेंदु भूल कर भी मातापिता को जीवनयापन के लिए एक रुपया नहीं भेजता था. वह सुधा के साथ उन्मुक्त जीवन जीने में सारा पैसा फूंक मार कर सिगरेट के धुएं की तरह उड़ा देता था. उन का दांपत्य जीवन अतिआधुनिकता की चकाचौंध में खोता जा रहा था.

रोजाना महंगे होटलों में खानापीना और नित्य नाइट क्लबों में वक्त बिताना उन की आदत सी बन गई थी. बीचबीच में दोनों अपने दोस्तों के साथ बार और पब में जा कर मस्ती लूटते थे. इसी क्रम में एक जाट ग्रुप के कुछ युवकों से शुभेंदु के दोस्तों का झगड़ा हो गया.

तब शुभेंदु ने अपने मोबाइल पर तुरंत किसी को घटना की सूचना दी. उस के बाद बीचबचाव के मकसद से वहां चला गया. जाट ग्रुप के युवक उसी की पिटाई करने लगे. जवाब में शुभेंदु भी उन के ऊपर अपने हाथ साफ करने लगा. दोनों तरफ से जम कर मारपीट होने लगी.

सूचना पा कर पुलिस घटनास्थल पर पहुंची. पुलिस को देखते ही झगड़ा करने वाले दोनों पक्षों के युवक भाग खड़े हुए. लेकिन शुभेंदु भाग नहीं सका और पुलिस के हत्थे चढ़ गया.

सुबह में सुधा को शुभेंदु के पकड़े जाने की खबर मिली तो वह हैरान रह गई. वह भागीभागी दत्तावाड़ी थाना पहुंची और थाना प्रभारी राजेश कुमार से मिल कर अपने पति को छोड़ने की गुहार लगाई.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...