‘‘ले भोलू, साग खा ले मेथी वाले टोडे (मक्की की रोटी) के साथ, अपने हाथ से बना कर लाई हूं,’’  मुड़ेतुड़े पुराने अखबार के कागज में मक्की से बनी रोटियां और स्टील के डब्बे में सरसों का साग टेबल पर रखते हुए बीबी बोली. उस की c. चेहरे से वह कुछ परेशान और थकीथकी सी दिख रही थी.

‘‘पैरी पैणा,’’ बीबी के अचानक सामने आते ही वह कुरसी से आदर सहित खड़ा हो गया.

‘‘पैरी पैणा बीबीजी,’’ उस के पास बैठे उस के मित्र ने बीबी को न जानते हुए भी बड़े सत्कार से कहा.

‘‘जीते रहो मेरे बच्चो,’’ बीबी ने भोलू के सिर पर हाथ फेरा, फिर मातृत्व वाले अंदाज में उस का माथा चूम लिया और प्यार से उसे अपने सीने से लगा लिया. फिर उस के समीप बैठे उस के मित्र के सिर पर हाथ फेरा. इतने में औफिस का चपरासी बीबी के लिए कुरसी ले आया. बीबी कुरसी के उग्र भाग पर ऐसे बैठी जैसे अभी उठने वाली हो.

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‘‘बीबी, आराम से बैठ जाओ,’’ भोलू ने आग्रहपूर्वक कहा. औफिस का वातावरण एकदम ममताभरी आभा से सराबोर हो उठा. हर चीज जैसे आशीर्वाद के आभामंडल से जगमगा उठी.

‘‘बीबी, और सुनाओ, क्या हालचाल है आप का?’’

‘‘बस, ठीक है पुत्र, तुम सुनाओ अपना, मेरी बहूरानी और बच्चों का क्या हाल है?’’

‘‘बीबी, सब ठीक हैं, बच्चे और तुम्हारी बहूरानी भी.’’

‘‘बड़ा काका अब क्या करता है, बेटा?’’

‘‘बीबी, इंजीनियरिंग कर रहा है.’’

‘‘अच्छा है, और छोटा?’’ बीबी ने बड़ी आत्मीयता से पूछा.

‘‘बीबी, वह अभी 12वीं कर रहा है.’’

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