यह सुन कर उन दोनों के चेहरे पर गहरी चिंता झलकने लगी.
यह देख कर अमन को हैरानी हुई. उस ने नीरा के पिता से कहा, ‘‘आप की बेटी ठीक है. फिर यह चिंता किसलिए कर रहे हैं?’’
इस पर नीरा के पिता ने झिझकते हुए बताया, ‘‘डाक्टर साहब, नीरा की परीक्षा खत्म होने के बाद सगाई होने वाली है. हमारी बिरादरी के एक आईएएस लड़के से इस की शादी की बात पक्की हो रखी है. 3 दिन बाद लड़का सगाई की रस्म के लिए आने वाला है. उस के मातापिता यहीं रहते हैं.’’
अमन ने कहा, ‘‘देखिए, आप पहले बेटी की सेहत पर ध्यान दीजिए. सगाई बाद में होती रहेगी,’’ कह अमन अन्य मरीजों का मुआयना कर वार्ड से बाहर जाने से पहले नीरा से बोला, ‘‘मेरे पास कुछ किताबें हैं, आप को भिजवाता हूं, पढ़ती रहेंगी तो मन लगा रहेगा.’’
आज नीरा के होने वाले पति व उस के परिवार वालों की आने की उम्मीद में उस के मम्मीपापा जल्दी आ गए. वे नीरा के लिए गुलाबी रंग का सलवारकुरता लाए थे. नीरा के चेहरे पर भी खुशी झलक रही थी. जल्दी से नर्स को बुला कर हाथमुंह धो कर कपड़े बदल वह बेसब्री से इंतजार करने लगी.
सुबह से शाम हो गई पर लड़के के परिवार का कहीं दूरदूर तक अतापता न था. अमन जब शाम को वार्ड में आया तो देखा नीरा के मातापिता चेहरे लटकाए जा रहे थे, नीरा को यह कह कर कि चर्च में जा कर पता करते हैं. शाम को वे वहां आएंगे ही... सब ठीकठाक हो. नीरा भी थकावट और चिंता से बेहाल थी. चुपचाप चादर ओढ़ कर सो गई.