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Writer- रमणी मोटाना

नववर्ष के आगमन पर क्लब दुलहन की तरह सजाया गया था. बिजली के रंगीन बल्बों की रोशनी से सारा प्रांगण जगमगा रहा था. क्लब के बार में दोस्तों के साथ बैठे रंजीत की नजर एक युवती पर पड़ी जो अपनी सहेलियों के साथ खिलखिला कर हंसती हुई पास से गुजर गई.

‘‘यार, यह हसीना कौन है?’’ रंजीत ने अपने दोस्तों से पूछा.

‘‘यह मेनका है. अपने मांबाप के साथ पुणे से आई और जनरल मल्होत्रा की मेहमान है,’’ उस के दोस्त पवन ने कहा.

‘‘तभी तो, मैं भी चकराया कि इस हसीन चेहरे पर पहले कभी नजर क्यों नहीं पड़ी.’’

‘‘बाबू, यह तेरी पहुंच से बाहर है. सेठ अमरचंद का नाम सुना है कभी? वही जिन की कपड़ों की कई मिले हैं. यह उन की एकलौती बेटी है. अमरचंद करोड़पति हैं.’’

‘‘अरे, वह करोड़पति है तो हम भी कोई गएगुजरे नहीं हैं,’’ रंजीत ने छाती फुला कर कहा, ‘‘हम फौजी हैं, देश के रखवाले.’’

पवन रंजीत के कंधे पर हाथ रख कर बोला, ‘‘मेरे फौजी भाई, यहां तेरी दाल नहीं गलने वाली.’’

‘‘देखा जाएगा.’’

तभी हौल में डांस का बैंड बजने लगा. जोड़े उठउठ कर डांस करने लगे.

कुछ देर बाद माइक पर घोषणा हुई कि डांस का अगला कार्यक्रम लेडीज चौइस का है, यानी महिलाएं अपना डांस पार्टनर खुद ही चुनेंगी तो आगे आइए और अपने पसंदीदा पार्टनर का चुनाव कीजिए.

मौका ताड़ कर रंजीत मेनका के सामने जा खड़ा हुआ.

‘‘मैडम, क्या आप को इस जमघट में कोई भी नौजवान पसंद नहीं आया?’’ रंजीत ने पूछा.

मेनका हैरानी से उस की ओर देख कर बोली, ‘‘आप की तारीफ?’’

‘‘खाकसार का नाम रंजीत है. अगर इस डांस के लिए आप ने मु?ो चुना तो मैं आप का आभारी रहूंगा.’’

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