5 Best Hindi Stories : हर कहानी कुछ कहती है, कुछ सिखा जाती है क्योंकि कहानी के रूप में यह जीवन के गहरी भावनाओं से जुड़ी होती है. ऐसी ही सरिता की 5 Best Hindi Stories आपके लिए लेकर आए हैं. दिल की गहराइयों में उतर जाने वाली ये 5 Best Hindi Stories से आपको कई तरह की सीख मिलेगी. जो आपके दिल में हर किसी के लिए प्यार की भावनाओं को जगाएगी, पढ़ें ये 5 Best Hindi Stories.
1. तुम कैसी हो : आशा के पति को क्या उसकी चिंता थी?
एक हफ्ते पहले ही शादी की सिल्वर जुबली मनाई है हम ने. इन सालों में मु झे कभी लगा ही नहीं या आप इसे यों कह सकते हैं कि मैं ने कभी इस सवाल को उतनी अहमियत नहीं दी. कमाल है. अब यह भी कोई पूछने जैसी बात है, वह भी पत्नी से कि तुम कैसी हो. बड़ा ही फुजूल सा प्रश्न लगता है मु झे यह. हंसी आती है. अब यह चोंचलेबाजी नहीं, तो और क्या है? मेरी इस सोच को आप मेरी मर्दानगी से कतई न जोड़ें. न ही इस में पुरुषत्व तलाशें.
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2. शिकायतनामा : कृष्णा क्यों करता था इतना अत्याचार ?
देर शाम अनुष्का का फोन आया. कामधाम से खाली होती तो अपने पिता विश्वनाथ को फोन कर अपना दुखसुख अवश्य साझा करती. शादी के 3 साल हो गए, यह क्रम आज भी बना हुआ था. पिता को बेटियेां से ज्यादा लगाव होता है, जबकि मां को बेटों से. इस नाते अनुष्का निसंकोच अपनी बात कह कर जी हलका कर लेती.
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3. रिश्तों की कसौटी : क्या हुआ था सुरभी को ?
‘‘अंकल, मम्मी की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई क्या?’’ मां के कमरे से डाक्टर को निकलते देख सुरभी ने पूछा.
‘‘पापा से जल्दी ही लौट आने को कहो. मालतीजी को इस समय तुम सभी का साथ चाहिए,’’ डा. आशुतोष ने सुरभी की बातों को अनसुना करते हुए कहा.
डा. आशुतोष के जाने के बाद सुरभी थकीहारी सी लौन में पड़ी कुरसी पर बैठ गई.
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4. पति नहीं सिर्फ दोस्त : स्वाति का क्यों नहीं आया था फोन ?
3 दिन हो गए स्वाति का फोन नहीं आया तो मैं घबरा उठी. मन आशंकाओं से घिरने लगा. वह प्रतिदिन तो नहीं मगर हर दूसरे दिन फोन जरूर करती थी. मैं उसे फोन नहीं करती थी यह सोच कर कि शायद वह बिजी हो. कोई जरूरत होती तो मैसेज कर देती थी. मगर आज मुझ से नहीं रहा गया और शाम होतेहोते मैं ने स्वाति का नंबर डायल कर दिया. उधर से एक पुरुष स्वर सुन कर मैं चौंक गई. हालांकि फोन तुरंत स्वाति ने ले लिया मगर मैं उस से सवाल किए बिना नहीं रह सकी.
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5. भाभी : गीता को क्यों याद आ रहे थे पुराने दिन ?
अपनी सहेली के बेटे के विवाह में शामिल हो कर पटना से पुणे लौट रही थी कि रास्ते में बनारस में रहने वाली भाभी, चाची की बहू से मिलने का लोभ संवरण नहीं कर पाई. बचपन की कुछ यादों से वे इतनी जुड़ी थीं जो कि भुलाए नहीं भूल सकती. सो, बिना किसी पूर्वयोजना के, पूर्वसूचना के रास्ते में ही उतर गई.