5 Special Stories : मन में रिश्‍तों को लेकर मीठा अहसास कराती हैं ये कहानियां. आपके जीवन में होने वाले उतारचढ़ावों से मिलतीजुलती है ये कहानियां 5 New Year Special Stories.  इन कहानियों की खास बात यह है कि जिन रिश्‍तों की अहमियत को आज अपनी लाइफस्‍टाइल की वजह से लोग भूलते जा रहे हैं, वो हमारे लिए कितनी जरूरी हैं, पढ़ें 5 New Year Special Stories . नए साल पर सरिता की ओर से यह 5 New Year Special Stories का तोहफा !

1. अपनी खुशी के लिए: क्या जबरदस्ती की शादी से बच पाई नम्रता?

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‘‘नंदिनी अच्छा हुआ कि तुम आ गईं. तुम बिलकुल सही समय पर आई हो,’’ नंदिनी को देखते ही तरंग की बांछें खिल गईं.

‘‘हम तो हमेशा सही समय पर ही आते हैं जीजाजी. पर यह तो बताइए कि अचानक ऐसा क्या काम आन पड़ा?’’

‘‘कल खुशी के स्कूल में बच्चों के मातापिता को आमंत्रित किया गया है. मैं तो जा नहीं सकता. कल मुख्यालय से पूरी टीम आ रही है निरीक्षण करने. अपनी दीदी नम्रता को तो तुम जानती ही हो. 2-4 लोगों को देखते ही घिग्घी बंध जाती है. यदि कल तुम खुशी के स्कूल चली जाओ तो बड़ी कृपा होगी,’’ तरंग ने बड़े ही नाटकीय स्वर में कहा.

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2. गर्ल टौक: आंचल खुद रोहिणी की कैसे बन गई दोस्त

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एक दिन साहिल के सैलफोन की घंटी बजने पर जब आंचल ने उस के स्क्रीन पर रोहिणी का नाम देखा तो उस के माथे पर त्योरियां चढ़ गईं.

रोहिणी के महफिल में कदम रखते ही संगीसाथी जो अपने दोस्त साहिल की शादी में नाच रहे थे, के कदम वहीं के वहीं रुक गए. सभी रोहिणी के बदले रूप को देखने लगे.

‘‘रोहिणी… तू ही है न?’’ मोहन की आंखों के साथसाथ उस का मुंह भी खुला का खुला रह गया.

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3. एक साथी की तलाश: क्या श्यामला अपने पति मधुप के पास लौट पाई?

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शाम गहरा रही थी. सर्दी बढ़ रही थी. पर मधुप बाहर कुरसी पर बैठे शून्य में टकटकी लगाए न जाने क्या सोच रहे थे. सूरज डूबने को था. डूबते सूरज की रक्तिम रश्मियों की लालिमा में रंगे बादलों के छितरे हुए टुकड़े नीले आकाश में तैर रहे थे. उन की स्मृति में भी अच्छीबुरी यादों के टुकड़े कुछ इसी प्रकार तैर रहे थे.

2 दिन पहले ही वे रिटायर हुए थे. 35 सालों की आपाधापी व भागदौड़ के बाद का आराम या विराम… पता नहीं…

‘‘पर, अब… अब क्या…’’ विदाई समारोह के बाद घर आते हुए वे यही सोच रहे थे. जीवन की धारा अब रास्ता बदल कर जिस रास्ते पर बहने वाली थी, उस में वे अकेले कैसे तैरेंगे.

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4. अपनी खुशी के लिए: क्या जबरदस्ती की शादी से बच पाई नम्रता?

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‘‘नंदिनी अच्छा हुआ कि तुम आ गईं. तुम बिलकुल सही समय पर आई हो,’’ नंदिनी को देखते ही तरंग की बांछें खिल गईं.

‘‘हम तो हमेशा सही समय पर ही आते हैं जीजाजी. पर यह तो बताइए कि अचानक ऐसा क्या काम आन पड़ा?’’

‘‘कल खुशी के स्कूल में बच्चों के मातापिता को आमंत्रित किया गया है. मैं तो जा नहीं सकता. कल मुख्यालय से पूरी टीम आ रही है निरीक्षण करने. अपनी दीदी नम्रता को तो तुम जानती ही हो. 2-4 लोगों को देखते ही घिग्घी बंध जाती है. यदि कल तुम खुशी के स्कूल चली जाओ तो बड़ी कृपा होगी,’’ तरंग ने बड़े ही नाटकीय स्वर में कहा.

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5. कोरा कागज: आखिर कोरे कागज पर किस ने कब्जा किया

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1996, अब से 25 साल पहले. सुबह के 9 बजने को थे. नाश्ते की मेज पर नवीन और पूनम मौजूद थे. नवीन अखबार पढ़ रहे थे और पूनम चाय बना रही थी, तभी राजन वहां पहुंचा और तेजी से कुरसी खींच कर उस पर जम गया.

“गुड मौर्निंग मम्मीपापा,” राजन ने कहा. “गुड मौर्निंग बेटा,” पूनम ने मुसकरा कर जवाब दिया और उस के लिए ब्रैड पर जैम लगाने लगी.

“मम्मी, सामने वाली कोठी में लोग आ गए क्या…? अभी मैं ने देखा कि लौन में एक अंकल कुरसीपर बैठे हैं.”

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