उसी समय सुनील की आने की आहट आई. "चाय पी कर जाना. देखो यह भी आ गए," नीरा मुसकराती हुई दरवाजा खोलने उठी और सुनील से कहा, "देखिए, कुसुम आई है. मुन्ने को ले कर जाइए और अपनी शुभकामनाएं दीजिए."
"अरे वाह, बहुत बधाई तुम दोनों को. मुन्ना बिलकुल तुम पर गया है. और कहां गायब है केशव? जब से तुम आई हो यहां का रास्ता ही भूल गया है. आज रात को आओ. नीरा बिलकुल होटल जैसी पनीर की सब्जी खिलाएगी."
"आज नहीं, हम फिर कभी आते हैं."
"चाय तो पीती जाओ," नीरा बोली.
"मैं अब निकलती हूं. मुन्ने के दूध का समय हो गया है."
नीरा ने अपना आखिरी दांव खेला और उस के कंधे पर हाथ रख मुन्ने को प्यार से पुचकारते ऐसे बोली जैसे उन के बीच कुछ पल पहले कुछ हुआ ही नहीं हो.
"ऐसे ही आती रहना, फिर मिलते हैं," और देखते ही देखते नीरा की मुसीबत सुनील को बिना भनक लगे सफलतापूर्वक घर से बाहर निकल गई.
"अब चाय पिलाई जाए आप को? जाइए, हाथमुंह अच्छे से साबुन से धो लीजिए. संक्रमण होने का डर अभी भी कायम है."
"आप की जो आज्ञा और हां, अदरक ज्यादा डालना."
बाथरूम के दरवाजे की जैसे ही कुंडी बंद होने की आवाज आई नीरा ने झटपट अपना फोन उठाया और केशव को मैसेज किया,"मैं ने कहा था न टैंशन मत लेना. देखना तुम से खुद माफी भी मांगेगी. अब शांत रहते हैं जबतक यह वापस मायके न जाए. तुम्हें बहुत सारा प्यार."
"मान गए तुम्हें. उस के मायके जाने का बेसब्री से इंतजार रहेगा. तुम्हें भी खूब सारा प्यार."