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"तुम टैंशन मत लो, उसे शक नहीं होगा," नीरा ने अपने पति सुनील के दोस्त केशव को उन की नजरों से छिप कर झटपट मैसेज भेज तुरंत उसे डिलीट कर दिया.

"वह तुम्हारे घर के लिए निकल रही है, काफी गुस्से में है. संभाल लेना," केशव ने नीरा को वापस मैसेज भेज कर उसे डिलीट कर दिया.

"आप चाय लोगे?" नीरा ने अखबार के साथसाथ न्यूज देखते हुए सुनील से पूछा.

"हां, बनाओ," चाय पीने के लिए हर पल आतुर सुनील ने जैसा अनुमानित था वैसा उत्तर दिया.

नीरा किचन में पहुंची और चायपत्ती का खाली डब्बा खंगालने लगी और कहा,"अरे, आप को सुबह कहा था न कि चायपत्ती खत्म हो गई है. जाइए न नीचे की दुकान से ले आइए," नीरा सुनील को कुसुम के आने से पहले रफादफा करना चाहती थी कि कहीं उन के सामने कोई तमाशा न हो जाए और वे भी उन दोनों पर शक करना न चालू कर दें.

"क्या तुम भी छुट्टी के दिन तंगगाती हो," सुनील जैसे ही सोफे से उठ कर अपनी चप्पलें पहन दरवाजे पर पहुचने लगे नीरा ने प्रेमपूर्वक कहा,"अच्छा, अब जा ही रहे हैं तो 1 किलोग्राम टमाटर और आधा किलोग्राम पनीर लेते आइएगा,"

"यह दुकान दूसरी तरफ है, आनेजाने में बहुत समय लग जाएगा."

"अच्छा ही है न, आप की थोड़ी वौक भी हो जाएगी. उन के यहां पनीर सब से ताजा मिलता है, वहीं से लाना," नीरा चाहती थी कि सुनील देर से देर घर वापस लौटें ताकि सब बातें इत्मीनान से हो सके और उन्हें कानोंकान खबर न हो.

जैसे ही वे गए, बाहर से सामान्य और भीतर से घबराई हुई नीरा अपने सूखे गले को 2 गिलास ठंडा पानी पिला कर शांत कर, कुछ गहरी सांसें ले अपनेआप को कुसुम का सामना करने के लिए मजबूत करने लगी.

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