"अब बस बहुत हुआ, केशव. पहले तो मेरा मन अनिल के साथ जाने का बिलकुल नहीं था पर अब बहुत अच्छे मन से जाऊंगी और तुम जा कर अपनी बीवी के पल्लू से बंधे रहो."
" ठीक है, फिर अब सब खत्म."
"ठीक है, मेरी तरफ से भी खत्म."
नीरा के मन का एक भाग केशव के लिए गुस्से से बढ़ता जा रहा था तो कभी शांत होने पर उसे उस की बहुत याद सताने लगी.
"चलो, नीरा गाड़ी आ गई है. नहीं तो हमारी फ्लाइट छूट जाएगी," घर का तालाचाबी, अटैची पकड़े अनिल ने दरवाजे पर खड़े हो भीतर अवाज देते कहा.
"हां, बस आ रही हूं."
वे हाईवे तक पहुंचे ही थे कि पीछे से आती ट्रक ने उन की गाड़ी को जोरदार ठोकर मार दी. केशव को छोटीमोटी खरोचें आईं पर पीछे बैठी नीरा जिस ने सीट बैल्ट नहीं लगाया था उस का खूबसूरत चेहरा और शरीर में जहांतहां गहरी और गंभीर चोट से भर गया.
आननफानन ऐंबुलेंस बुलाई गई और नीरा को ले कर सुनिल तेज रफ्तार से अस्पताल की ओर भागा. कई रातें अस्पताल में बिताने के बीच नीरा को होश आया पर इसी बीच उस का सूक्ष्म दिमाग यह जरूर महसूस कर सकता था कि जिसे उस के दिल ने आज तक नहीं स्वीकारा, वे उस से सच में खुद से ज्यादा प्रेम करते हैं, सुनिल ने अपनी सुधबुध खो कर उस की दिनरात सेवा की, पूरे समय उस का हाथ थामे रहा, न खुद के खाने का होश न पीने का. बस, यही कामना करता रहा कि उस की नीरा जल्द से जल्द ठीक हो जाए.