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‘‘तुम ने मेरा इस्तेमाल किया मगर मैं उतना नासम?ा नहीं जितना तुम मु?ो सम?ाती थीं. मैं ने वहां बैठ कर तुम्हारी सारी करतूतों की एक फाइल बनवा ली जिस का हर सफा तुम्हारी बेईमानियों की कहानी सुना रहा है.’’ ‘‘तो तुम क्या सुनना चाहते हो, हां, मैं उड़ना चाहती थी. कुछ बड़ा करना चाहती थी. मु?ो वहां की जिंदगी पसंद नहीं थी. मैं जिंदगी में एक ऐसा मुकाम हासिल करना चाहती थी जिस की मिडिल क्लास की लड़कियां सिर्फ कल्पना ही कर सकती हैं. मेरे सपने बड़े थे, बहुत बड़े. मगर अब मैं क्या करूं, तुम मानोगे नहीं, मगर यह भी सच है कि मैं ने तुम से प्यार किया है. यहां रह कर भी मैं ने किसी और का तसव्वुर तक नहीं किया. तुम चाहो तो मु?ो एक मौका दे सकते हो. मैं तुम से वादा करती हूं.’

’ ‘‘मु?ो तुम्हारे वादों में कोई दिलचस्पी नहीं है. दिलचस्पी है तो तुम्हारी दौलत में जिसे कमाने में मेरी जमीन के टुकड़े का इस्तेमाल हुआ है. वह जमीन जिसे मैं अपनी जान से भी ज्यादा चाहता था. तुम्हारी दौलत में मेरी भाभी की आस्था छिपी है, विश्वास के वे तार छिपे हैं जिन्हें तुम ने तारतार कर दिए हैं.’’ ‘‘तो?’’ सोनिया अविश्वास से देख रही थी. ‘‘मु?ो तुम से वह सबकुछ वापस चाहिए जो तुम ने मु?ा से छीना है, सूद समेत. जेल के अंदर चारदीवारों से टकराती तुम्हारी सिसकियां मु?ो तसल्ली देंगी कि मेरा सबकुछ धीरेधीरे वापस आ रहा है. तुम्हारी बरबादी मेरे सीने में जलती आग को ठंडा कर देगी.’’ ‘‘तुम ने अभी कहा कि तुम्हारी दिलचस्पी मेरी दौलत में है तो मेरी ये सारी दौलत तुम्हारी भी तो है, तुम यहीं रहो मेरे पास.’’ ‘‘तुम्हें सम?ादार कहूं या चालाक, सोनिया? जब फंसने लगी तो खुद को मेरे हवाले करने का फैसला ले लिया और वह भी दौलत के साथ.’’ ‘‘ऐसी बात नहीं है धर्मा,

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