उन के चेहरे पर खुशी देख कर धर्मा को एक अजीब संतोष हुआ. आगे बढ़ कर भाभी की आंखों में आंखें डाल कर बोला, ‘‘आप के बिना रहना कितना मुश्किल होगा, भाभी.’’ भाभी की आंखें सजल हो गईं. आंचल के कोर से उस ने चतुराई से आंसू पोंछ डाले. धर्मा ने आहिस्ते से कहा, ‘एक बात और कहनी है, भाभी.’’ ‘‘कहो धर्मा,’’ भाभी ने बड़ी आत्मीयता से कहा. ‘‘वह जो मैं ने अभी कहा था न कि आप सुंदर हैं, स्मार्ट हैं, पढ़ीलिखी हैं वगैरहवगैरह. सब ?ाठ था. आप भी मेरी तरह अंगूठा छाप हैं,’’
धर्मा ने कहा और इस के पहले कि भाभी के हाथ आता, वह वहां से नौदोग्यारह हो गया. सोनिया ने वीजा के लिए जरूरी सारे कागजात पूरे किए और चंद ही दिनों में अमेरिका का वीजा उस के पासपोर्ट की शोभा बन चुका था. धर्मा सोनिया पर दिलोजान निसार कर रहा था, सुबहशाम उस का तसव्वुर और रातदिन उस घड़ी का इंतजार जब सोनिया अमेरिका जाएगी और वह भी पीछेपीछे अमेरिका पहुंच जाएगा, जहां वे एक नया जीवन शुरू करेंगे, जिस में ढेर सारा प्यार होगा और बहुत सारा विश्वास एवं समर्पण. आखिरकार, वह दिन आ भी गया जब सोनिया अमेरिका जाने के लिए तैयार थी. धर्मा ने मुंबई आ कर सोनिया को विदाई दी और आंखों में भविष्य के सपने संजोए भारी मन से वापस अपने गांव आ गया.
न्यूयौर्क जा कर सोनिया ने आगे की पढ़ाई करने के लिए यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया और बाकी के वक्त में छोटीमोटी नौकरी भी कर ली. वादे के मुताबिक धर्मा हर महीने सोनिया को पैसे भेजता रहता और सप्ताह में एक बार उन की आपस में बात होती रहती. पढ़ाई की वजह से बात छोटी ही होती और फिर धीरेधीरे बातों का सिलसिला बादलों में छिपे चांद की तरह हो गया. वक्त बदलता रहा और शीघ्र ही सोनिया ने अपनी पढ़ाई समाप्त कर के वहां एक अच्छी कंपनी में नौकरी हासिल कर ली. नौकरी शुरू करने के बाद तो धर्मा के लिए सोनिया से बात करना ही दुश्वार हो गया. अभी फोन रखती हूं, जरूरी मीटिंग है, शाम को बात करती हूं. मगर वह शाम कभी न आती. धर्मा भाभी को सारी बातें बताता रहता और धर्मा की बातें सुन कर भाभी के चेहरे पर भी चिंता की रेखाएं आतीजातीं.
उस शाम जब धर्मा किसी काम से दिल्ली गया था तो भाभी ने सोनिया से फोन पर बात की. सोनिया ने फोन उठा तो लिया मगर बातचीत बढ़ाना नहीं चाहती थी, ‘‘मैं अभी’ सोनिया कुछ कहना चाह रही थी कि भाभी ने बात काट दी, ‘‘तुम्हारी मीटिंगों से ज्यादा जरूरी मेरी बात है. मु?ो तुम्हारे रंगढंग ठीक नहीं लग रहे. धर्मा तुम से अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता है, अपना हर वादा निभाया उस ने. अब उसे इंतजार है कि तुम उसे वहां कब बुलाऊंगी.’’ ‘‘मैं कोशिश कर रही हूं, भाभी. मगर धर्मा के पास न कोई डिगरी है न कोई हुनर, उज्जड किस्म का आदमी है. दिमाग के नाम पर जीरो वाट का बल्ब. मैं करूं तो क्या करूं.’’ भाभी को काटो तो खून नहीं, फोन उस के हाथ से छिटक कर गिर पड़ा और वह स्वयं भी वहीं निढाल हो कर गिर पड़ीं. सोनिया की नीयत पर अब उसे शक न करने की कोई गुंजाइश ही नहीं थी. आंखों के सामने धर्मा का चेहरा घूमने लगा.
विश्वास के स्तर के इतने बड़े हृस की उन्हें जरा भी आशा न थी. अगले रोज जब धर्मा आया तो भाभी उस से नजरें मिलाने से बच रही थीं. हाथमुंह धोते हुए धर्मा ही बोल पड़ा, ‘‘भाभी, सोनिया का नंबर लगातार बंद आ रहा है. लगता है, नैटवर्क की गड़बड़ है.’’ ‘‘सोनिया ने मोबाइल नंबर बदल दिया होगा, धर्मा. वह तु?ा से बात करने से कतरा रही है. उस ने मेरे विश्वास की डोर को सोचीसम?ा साजिश के तहत तोड़ दिया. तुम्हारी असली गुनहगार मैं हूं. सम?ा नहीं आता कि मैं तुम्हें क्या कहूं, क्या सलाह दूं.’’ ‘‘मु?ो इस बात का एहसास था भाभी, इसलिए मैं दिल्ली गया था. बड़ी मुश्किल से एक महीने का टूरिस्ट वीजा मिला है. अगले हफ्ते ही मैं न्यूयौर्क जाऊंगा. सरपंचजी का बेटा सोमू वहां बरसों से है. मैं ने उसे सारी बातें सम?ा दी हैं और उस ने वादा किया है कि वह मेरी पूरी मदद करेगा. उस का एक जानकार वकील है जिसे मैं ने सोनिया पर नजर रखने को और उस के बारे में सबकुछ पता करने को कहा है. उस के जरिए सोनिया से मिल कर सारी बातें साफ कर लूंगा.’’
‘‘फिर,’’ भाभी को सम?ा नहीं आ रहा था कि धर्मा के मन और मस्तिष्क में क्या उथलपुथल चल रही थी. उस ने बिना भाभी की तरफ देख कर कहा, ‘‘और फिर सोनिया यहां होगी, तुम्हारे पास अपनी गलती का प्रायश्चित्त करने के लिए, तुम्हारे कदमों में सिर रखने के लिए.’’ ‘‘लेकिन उस ने इनकार कर दिया तो.’’ ‘‘खाली हाथ तो नहीं लौटूंगा, भाभी. यह मेरी जिद भी है और तुम से वादा भी. जिस ने तुम्हें कष्ट दिया है उसे इस दर्द की टीस का एहसास तो दिलाना ही पड़ेगा.’’ न्यूयौर्क हवाई अड्डे पर सोमू ने बड़ी गर्मजोशी से धर्मा का स्वागत किया और उसे अपने घर ले गया. ‘‘मेरे पास सिर्फ एक महीने का वक्त है, सोमू और मु?ो सोनिया से मिलना ही पड़ेगा. तू मु?ो किसी तरह से उस के पास ले चल. फिर देखता हूं कि वक्त की धारा मोड़ कर हमें किस मुहाने पर ले कर जाती है.’’ ‘‘मैं कोशिश करता हूं कि तुम्हें जल्द से जल्द सोनिया तक ले जा सकूं हालांकि सोनिया अब पहले वाली सोनिया नहीं है. उस के पास दौलत है,
थोड़ीबहुत शोहरत भी है, रुतबा है.’’ सोमू की कुछ ही दिनों की मेहनत रंग लाई. उस ने सोनिया को विश्वास में लिया और दक्षिण अफ्रीका से आए एक बिजनैस डैलिगेशन से मिलने का वक्त ले लिया. डैलिगेशन जब मिलने गया तो उस में सब से आगे धर्मा था. ‘‘तुम, तुम यहां?’’ धर्मा को सामने देख कर सोनिया मानो आकाश से धरातल पर गिर पड़ी पर जल्द ही वह सारा माजरा सम?ा गई. ‘‘तुम्हारा चौंकना स्वाभाविक है. तुम से मिलने के लिए, अपनी होने वाली पत्नी तक पहुंचने के लिए मु?ो एक नकली डैलिगेशन का सहारा लेना पड़ा. मैं तुम से बात करना चाहता हूं, अपने बारे में, तुम्हारे बारे में, हम दोनों के बारे में.’’ ‘‘देखो धर्मा, यह औफिस है. यहां मैं काम करती हूं, आज मेरे पास बिलकुल वक्त नहीं है. मैं अभी न्यूयौर्क से बाहर जा रही हूं और वैसे भी यहां यों बात करना मुनासिब नहीं होगा. मैं तुम से शनिवार को मिलती हूं. शाम 5 बजे इसी औफिस के पीछे न्यू एंपायर कौफी हाउस में.’’ ‘‘देख लो सोनिया, मेरे पास वक्त बहुत कम है और खोने को कुछ भी नहीं है और तुम्हारी तिजोरी भरी पड़ी है. तुम्हारी एक गलत चाल तुम से यहां पर तुम्हारी करतूतों के हिसाब मांग सकती है. एक बात और याद रखना कि मैं अनपढ़ जरूर हूं लेकिन बेवकूफ नहीं.’’ सोमू ने धर्मा को ले जा कर चंद्रा से मिलवाया जो वकील के साथसाथ एक रजिस्टर्ड डिटैक्टिव भी था. ‘‘सोनिया के बारे में जो भी सूचनाएं आप ने भेजीं उन से एक बात शीशे की तरह साफ है कि उस ने अपने बारे में यहां बहुतकुछ फर्जी बताया हुआ है. अपनी डिगरी, भारत में विभिन्न कंपनियों में अपने काम का अनुभव, बैंक खातों की जानकारी सबकुछ ?ाठा है. उस की यह इमारत ?ाठ की बुनियाद पर टिकी हुई है.
’’ ‘‘और अमेरिका में ऐसे आर्थिक अपराध सामान्य नहीं माने जाते. इन की सजा भी उतनी ही सख्त है जितनी अन्य अपराधों की है. आप की मंगेतर को न सिर्फ वापस भारत डिपोर्ट कर सकते हैं बल्कि यहां के कानून के मुताबिक उन्हें अच्छीखासी जेल की सजा भी मिल सकती है.’’ उत्तर में धर्मा ने एक फीकी मुसकान फेंकी और इजाजत लेते हुए बोला, ‘मैं भी कुछ ऐसा ही चाहता हूं.’’ तय दिन और तय समय पर धर्मा सोनिया से मिलने तय जगह पर पहुंच गया, ‘‘तुम आज जिस मुकाम पर पहुंची हो वहां तुम्हें पहुंचाने में मेरा प्यार, मेरी भाभी की आत्मीयता और मेरी धरती का बलिदान छिपा है. तुम ने तीनों का अपमान किया. मैं अच्छी तरह से जानता था कि तुम निहायत स्वार्थी और मतलबी किस्म की इंसान हो मगर मैं ने अपनी भाभी के निश्च्छल प्रेम पर अपनी सोच को कुरबान कर दिया और तुम ने इस का यह सिला दिया?’’ ‘‘मैं तुम से रिश्ता तोड़ना नहीं चाहती थी, बस, एक अच्छे मौके का इंतजार कर रही थी.’ सोनिया कुछ कहना चाह रही थी मगर धर्मा ने उसे रोक दिया.