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लेखक - नरेंद्र कौर छाबड़ा

टेबल पर खाना लगाने के बाद इंदु ने विजयजी को आवाज लगाई, "आइए, खाना तैयार है...”80 साल के विजयजी धीरेधीरे चल कर टेबल तक पहुंचे. कुरसी पर बैठते ही आदतन उन्होंने पूछा, "क्या बनाया है आज?“

“आप की पसंदीदा सब्जी मटरपनीर...” एक कौर मुंह में डालते ही वे बोले, ”बहुत तेज मिर्ची है...” इंदु ने एक चम्मच सब्जी चखी और बोल पड़ी, "जरा भी तो तीखी नहीं है. मैं ने मिर्ची भी बहुत कम डाली थी. आप के मुंह में छाले तो नहीं हो गए?“

“तुम्हें तो मेरी हर बात गलत ही लगती है...” विजयजी कुछ नाराजगी से भर उठे. इंदु चुप हो गई. एक कटोरी में दही डाल कर उन के आगे रखते हुए इंदु ने कहा, "यह डाल लें सब्जी में तो तीखी नहीं लगेगी...”

खाने की टेबल पर हर 10-15 दिनों में पतिपत्नी के बीच नोकझोंक हो ही जाती है. विजयजी शुरू से ही खाने के शौकीन रहे हैं. कभी उन्हें नमक कम लगता है, तो मिर्च ज्यादा. कभी तेल अधिक, तो कभी खटाई ज्यादा. कभी सब्जी ठीक से पकी नहीं तो कभी बहुत अधिक पक गई जैसी शिकायतें होती हैं.

इंदु कभी तो चुप लगा जाती है, पर कभीकभी चिढ़ भी जाती है. फिर दोनों के बीच नोकझोंक या हलकी सी तकरार भी हो जाती है. विजयजी के परिवार में पत्नी के अलावा बेटाबहू और 2 पोते हैं. बेटा नामीगिरामी कंपनी में प्रबंधक है और बहू भी एक कंपनी में उच्च पद पर है. दोनों ही सवेरे 9 बजे के आसपास निकल जाते हैं और शाम के तकरीबन 7 बजे के बाद ही लौटते हैं.

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