वह चौंक पड़ी, ‘‘तुझे चाइनीज लड़के से प्यार हो गया? जानती भी है कितनी मुश्किलें आएंगी? इंडियन लड़की और चाइनीज लड़का. पता है न उन का कल्चर कितना अलग होता है? रहने का तरीका, खानापीना, वेशभूषा सबकुछ अलग है.’’
‘‘तो क्या हुआ? मैं उन का कल्चर अडौप्ट कर लूंगी.’’
‘‘और तुम्हारे बच्चे? वे क्या कहलाएंगे इंडियन या चाइनीज?’’
‘‘वे इंसान कहलाएंगे और हम उन्हें इंडियन कल्चर के साथसाथ चाइनीज कल्चर भी सिखाएंगे.’’
मेरा विश्वास देख कर मेरी सहेली भी मुसकरा पड़ी और बोली, ‘‘यदि ऐसा है तो एक बार उस से दिल की बात कह कर देख.’’
मुझे सहेली की बात उचित लगी. अगले ही दिन मैं ने इत्सिंग को एक मैसेज भेजा जिस का मजमून कुछ इस प्रकार था, (हमारी बातचीत हमेशा इंग्लिश में होती है पर मैं यहां हिंदी में अनुवाद कर के बता रही हूं).
‘‘इत्सिंग क्यों न हम एक ऐसा प्यारा सा घर बनाएं जिस में खेलने वाले बच्चे थोड़े इंडियन हों तो थोड़े चाइनीज.’’
‘‘यह क्या कह रही हैं आप रिद्धिमा? यह घर कहां होगा इंडिया में या चाइना में?’’
इत्सिंग ने भोलेपन से पूछा तो मैं हंस पड़ी, ‘‘घर कहीं भी हो पर होगा हम दोनों का. बच्चे भी हम दोनों के ही होंगे. हम उन्हें दोनों कल्चर सिखाएंगे. कितना अच्छा लगेगा न इत्सिंग?’’
मेरी बात सुन कर वह शायद थोड़ा अचकचा गया था. उसे बात समझ में आ गई थी पर फिर भी क्लीयर करना चाहता था, ‘‘मतलब क्या है तुम्हारा? आई मीन क्या सचमुच?’’
‘‘हां इत्सिंग सचमुच मैं तुम से प्यार करने लगी हूं. आई लव यू.’’
‘‘पर यह कैसे हो सकता है?’’ उसे विश्वास नहीं हो रहा था.
‘‘क्यों नहीं हो सकता?’’
‘‘आई मीन मुझे बहुत से लोग पसंद करते हैं, कई दोस्त हैं मेरे. लड़कियां भी हैं जो मुझ से बातें करती हैं. पर किसी ने आज तक मुझे आई लव यू तो नहीं कहा था, क्या तुम वाकई… आर यू श्योर?’’
‘‘यस इत्सिंग 100 परसैंट श्योर. आई
लव यू.’’
‘‘ओके… थोड़ा समय दो मुझे रिद्धिमा.’’
‘‘ठीक है कल तक का समय ले लो. अब हम परसों बात करेंगे,’’ कह कर मैं औफलाइन हो गई.
मुझे यह तो अंदाजा था कि वह मेरे प्रस्ताव पर सहज नहीं रह पाएगा, पर जिस तरह उस ने बात की थी कि उस की बहुत सी लड़कियों से भी दोस्ती है स्वाभाविक था कि मैं भी थोड़ी घबरा रही थी. मुझे डर लग रहा था कि कहीं वह इस प्रस्ताव को अस्वीकार न कर दे. सारी रात मैं सो न सकी. अजीबअजीब खयाल आ रहे थे. आंखें बंद करती तो इत्सिंग का चेहरा सामने आ जाता. किसी तरह रात गुजरी. अब पूरा दिन गुजरना था, क्योंकि मैं ने इत्सिंग से कहा था कि मैं परसों बात करूंगी. इसलिए मैं जानबूझ कर देर से जागी और नहाधो कर पढ़ने बैठी ही थी कि सुबहसुबह अपने व्हाट्सऐप पर इत्सिंग का मैसेज देख कर मैं चौंक गई.
धड़कते दिल के साथ मैं ने मैसेज पढ़ा. लिखा था, ‘‘डियर रिद्धिमा, कल पूरी रात मैं तुम्हारे बारे में ही सोचता रहा. तुम्हारा प्रस्ताव भी मेरे दिलोदिमाग में था. काफी सोचने के बाद मैं ने फैसला लिया है कि हम चीन में अपना घर बनाएंगे पर एक घर इंडिया में भी होगा, जहां गरमी की छुट््टियों में बच्चे नानानानी के साथ अपना वक्त बिताया करेंगे.’’
‘‘तो इन बातों का सीधासीधा मतलब भी बता दीजिए,’’ मैं ने शरारत से पूछा तो अगले ही पल इत्सिंग ने बोल्ड फौंट में आई लव यू टू डियर लिख कर भेजा, साथ में एक बड़ा सा दिल भी. मैं खुशी से झूम उठी. वह जिंदगी का सब से खूबसूरत पल था. अब तो मेरी जिंदगी का गुलशन प्यार की खुशबू से महक उठा था. हम व्हाट्सऐप पर चैटिंग के साथ फोन पर भी बातें करने लगे थे.
3-4 महीनों के बाद एक दिन मैं ने इत्सिंग से फिर से अपने दिल की बात की, ‘‘यार जब हम प्यार करते ही हैं तो क्यों न शादी भी कर लें?’’
‘‘शादी?’’
‘‘हां शादी.’’
‘‘तुम्हें अजीब नहीं लग रहा?’’
‘‘पर क्यों? शादी करनी तो है ही न इत्सिंग या फिर तुम केवल टाइम पास कर रहे हो?’’ मैं ने उसे डराया और वह सच में डर भी गया.
वह हकलाता हुआ बोला, ‘‘ऐसा नहीं है रिद्धिमा. शादी तो करनी ही है पर क्या तुम्हें नहीं लगता कि यह फैसला बहुत जल्दी हो जाएगा? कम से कम शादी से पहले एक बार हमें मिल तो लेना ही चाहिए,’’ कह कर वह हंस पड़ा.
इत्सिंग का जवाब सुन कर मैं भी अपनी हंसी नहीं रोक पाई.
अब हमें मिलने का दिन और जगह तय करनी थी. यह 2010 की बात थी.
शंघाई वर्ल्ड ऐक्सपो होने वाला था. आयोजन से पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी में इंडियन पैविलियन की तरफ से वालंटियर्स के चयन के लिए इंटरव्यू लिए जा रहे थे. मैं ने जरा सी भी देर नहीं की. इंटरव्यू दिया और मुझे चुन लिया गया.
इस तरह शंघाई के उस वर्ल्ड ऐक्सपो में हम पहली दफा एकदूसरे से मिले. वैसे तो हम ने एकदूसरे की कई तसवीरें देखी थीं पर आमनेसामने देखने की बात ही अलग होती है. एकदूसरे से मिलने की बाद हमारे दिल में जो एहसास उठा उसे बयां करना भी कठिन था, पर एक बात तो तय थी कि अब हम पहले से भी ज्यादा श्योर थे कि हमें शादी करनी ही है.
ऐक्सपो खत्म होने पर मैं ने इत्सिंग से
कहा, ‘‘एक बार मेरे घर चलो. मेरे मम्मीपापा
से मिलो और उन्हें इस शादी के लिए तैयार करो. उन के आगे साबित करो कि तुम मेरे लिए परफैक्ट रहोगे.’’
इत्सिंग ने मेरे हाथों पर अपना हाथ रख दिया. हम एकदूसरे के आगोश में खो गए. 2 दिन बाद ही इत्सिंग मेरे साथ दिल्ली एयरपोर्ट पर था. मैं उसे रास्तेभर समझाती आई थी कि उसे क्या बोलना है और कैसे बोलना है, किस तरह मम्मीपापा को इंप्रैस करना है. मैं ने उसे समझाया, था, ‘‘हमारे यहां बड़ों को गले नहीं लगाते, बल्कि पैर छू कर उन का आशीर्वाद लेते हैं, हाथ जोड़ते हैं.’’
मैं ने उसे सबकुछ कर के दिखाया. मगर एयरपोर्ट पर मम्मीपापा को देखते ही इत्सिंग सब भूल गया और हंसते हुए उन के गले लग गया. मम्मीपापा ने भी उसे बेटे की तरह सीने से लगा लिया. मेरी फैमिली ने इत्सिंग को अपनाने में देर नहीं लगाई मगर उस के मम्मीपापा को जब यह बात पता चली और इत्सिंग ने मुझे उन से मिलवाया तो उन का रिएक्शन बहुत अलग था.