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उस के पापा ने नाराज होते हुए कहा, ‘‘लड़की की भाषा, रहनसहन, खानपान, वेशभूषा सब बिलकुल अलग होगा. कैसे निभाएगी वह हमारे घर में? रिश्तेदारों के आगे हमारी कितनी बदनामी होगी.’’ इत्सिंग ने उन्हें भरोसा दिलते हुए कहा, ‘‘डौंट वरी पापा, रिद्धिमा सब कुछ संभाल लेगी. यह खुद को बदलने के लिए तैयार है. यह चाइनीज कल्चर अडौप्ट करेगी.’’

‘‘पापा वह चाइनीज जानती है. उस ने चाइनीज लैंग्वेज में ही ग्रैजुएशन की है. वह बहुत अच्छी चाइनीज बोलती है,’’  इत्सिंग ने अपनी बात रखी. यह सुन कर उस के पापा के चेहरे पर हलकी सी मुसकान आ गई. थोड़ी नानुकुर के बाद उस के मम्मीपापा ने भी मुझे अपना लिया. उस के पिता हमारी शादी के लिए तैयार तो हो गए, मगर उन्होंने हमारे सामने एक शर्त रखते हुए कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि तुम दोनों की शादी चीनी रीतिरिवाज के साथ हो. इस में मैं किसी की नहीं सुनूंगा.’’

‘‘जी पिताजी,’’ हम दोनों ने एकसाथ हामी भरी. बाद में जब मैं ने अपने मातापिता को यह बताई तो वे अड़ गए. वे मुझे अपने घर से विदा करना चाहते थे और वह भी पूरी तरह भारतीय रीतिरिवाजों के साथ. मैं ने यह बात इत्सिंग को बताई तो वह भी सोच में डूब गया. हम किसी को भी नाराज नहीं कर सकते थे, पर एकसाथ दोनों की इच्छा पूरी कैसे करें, यह बात समझ नहीं आ रही थी.

तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया आया, ‘‘सुनो इत्सिंग क्यों न हम बीच का रास्ता निकालें?’’ ‘‘मतलब?’’ ‘‘मतलब हम चाइनीज तरीके से भी शादी करें और इंडियन तरीके से भी.’’‘‘ऐसा कैसे होगा रिद्धिमा?’’

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