आप से हम फिर मिलेंगे, देख लेना
और हम मिलते रहेंगे, देख लेना
 
कोई हम को छले, कह नहीं सकते
हम किसी को न छलेंगे, देख लेना
 
दुख, पीड़ा, विरह, संताप, विप्लव
दुर्ग ये सारे ढहेंगे, देख लेना
 
लोग जलते हैं तो जलने दीजिएगा
हाथ जलजल कर मलेंगे, देख लेना
 
ओसकण भी मोतियों से जगमगा कर
फुनगियों तक पर हिलेंगे, देख लेना
 
आप खुद लग जाओगे भजने को हम को
हम तुम्हें ऐसा भजेंगे, देख लेना
 
आप कह लेना जो कहना चाहते हो
और फिर हम क्या कहेंगे, देख लेना.
हेमंत नायक

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