तुम जो नजर भर के 
जब भी देखते हो मुझ को
सितारों से आगे जहां
अपना नजर आता है
 
जर्रा नाचीज था जो कल तक
मैं वो शख्स
तुम्हारे आने से अब
उस पे फकर आता है
 
रूह से अपनी इबादत की
जिस खुदा की हम ने
तुम्हारे हुस्न में वो
रूबरू नजर आता है
 
तुम को बांध लिया है
जिंदगी के दामन में
बेसबर दिल को अब 
भरपूर सबर आता है.
डा. नीरजा श्रीवास्तव ‘नीरू’
 

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