अंधेरों से दुश्मनी कई दुश्मन बना देती है
सरफिरी हवाएं अकसर दीया बुझा देती हैं
कटी पतंगों से मैं ने जाना है
बुरी मोहब्बत ऊंचे किरदार गिरा देती है
परिंदों को तालीम उड़ने की कौन देता है?
पंखों की छटपटाहट उड़ना सिखा देता है
किताबों के साथ मैं रास्ते भी पढ़ लेता हूं
किताबों से ज्यादा, ठोकर सिखा देती है
आशिक और जिहादी मुझे एक से दिखते हैं
नादानी इन दोनों को काफिर बना देती है.
– दिनेश कुमार ‘डीजे’
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