तेरे लौट आने के इंतजार में
मैं तनहाई की डाल पर बैठा हूं
बरसात में उम्मीद का दीप जलाए
मैं यादों के मकड़जाल पर बैठा हूं
आसमान का रंग लाल हो गया
मैं अब तक तेरे खयाल में बैठा हूं
चांद की चांदनी बदल गई कड़ी धूप में
मैं छत की मुंडेर पर बुरे हाल में बैठा हूं
इंतजार में तेरे सूख गई नदिया
मैं उस की तपती रेत पर बैठा हूं
सुहाना मौसम आंधी में बदल गया
मैं अब तक दर्द के खेत में बैठा हूं.
– मुकुंद प्रकाश मिश्र
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