तेरे लौट आने के इंतजार में
मैं तनहाई की डाल पर बैठा हूं
बरसात में उम्मीद का दीप जलाए
मैं यादों के मकड़जाल पर बैठा हूं
आसमान का रंग लाल हो गया
मैं अब तक तेरे खयाल में बैठा हूं
चांद की चांदनी बदल गई कड़ी धूप में
मैं छत की मुंडेर पर बुरे हाल में बैठा हूं
इंतजार में तेरे सूख गई नदिया
मैं उस की तपती रेत पर बैठा हूं
सुहाना मौसम आंधी में बदल गया
मैं अब तक दर्द के खेत में बैठा हूं.
- मुकुंद प्रकाश मिश्र
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
सब्सक्रिप्शन के साथ पाए
500 से ज्यादा ऑडियो स्टोरीज
7 हजार से ज्यादा कहानियां
50 से ज्यादा नई कहानियां हर महीने
निजी समस्याओं के समाधान
समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...
सरिता से और