रजनी यौवन की आती है

जब उन रातों में

शर्मोहया सब फना हो जाती

उन की बांहों में

दिल से दिल की बातें होती हैं

धड़कनें महसूस होती हैं

जब उन की बांहों में

अंतर्मन खो जाता है

उन राहों में

चादर की सलवटें बयां करती हैं

उन करवटों को

जो हम ने ली संग तुम्हारे

कुछ भी न बचा बिन तुम्हारे

जीवन में हमारे

हर क्षण डूबी रहती हूं

उन यादों में

तन्हातन्हा सिमटी रहती हूं

उन चाहों में

कसकता है मन बिन तुम्हारे

आ के जीवन में भर दो चांदसितारे.

 

         - शीला बर्नवाल

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