वफा उस की कागजी थी शायद

जरा सी आंच न सह सकी शायद

उस के आने का करते रहे इंतजार

कोई गलतफहमी थी जरूर शायद

ख्वाब न पूरे हो सके अपने

कोशिशों में थी कमी शायद

सांस बेशक उस की चलती रहती है

जीने की तमन्ना खत्म हो चुकी शायद

तुम से मिलने हम आते जरूर लेकिन

प्यार से बुलाया नहीं कभी शायद.

              - हरीश कुमार अमित

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...