शाम के वक्त 7 बजे थे. अनिल ने औफिस से आते ही बैग सोफे पर पटका और फ्रेश होने चला गया. वहीं बैठी उस की मां माया उस के लिए चाय बनाने के लिए उठ गई. उन्होंने टाइम देखा, बहू तनु भी औफिस से आने ही वाली होगी, यह सोच कर उस के लिए भी चाय चढ़ा दी. चाय बनी ही थी कि डोरबैल बजी. तनु भी आ गई थी. माया को प्यार से देख कर मुसकराई. माया ने स्नेहपूर्वक कहा, ''बेटा, तुम भी फ्रेश हो जाओ, चाय तैयार ही है.''

माया के पति टी वी देख रहे थे. वे औफिस से जल्दी आते हैं. माया ने बहू व बेटे को चाय पिलाई. अनिल ने झींकते हुए कहा, ''तनु, आज सुबह सब्जी में कितना नमक था, बहुत गुस्सा आया मुझे. और एक तो यह गट्टे की सब्जी क्यों बनाई? मुझे जरा भी पसंद नहीं. मां,आप ने भी तनु को नहीं बताया कि मैं यह सब्जी नहीं खाता.''

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''तनु को पसंद है. तुम्हारी शादी को 5 महीने ही हुए हैं, तनु को इस सब्जी का शौक है और इस सब्जी को बनाने में उस ने सुबहसुबह बहुत मेहनत की है. कभी तुम उस की पसंद का खाओ, कभी वह तुम्हारी पसंद का खाए. और सब्जी तो बहुत ही अच्छी बनी थी, मुझे भी नहीं आती ऐसी बनानी.''

माया ने देखा, तनु का चेहरा उतर गया था. नयानया विवाह था. माया सोचने लगी, एक पत्नी को पति से मिली तारीफ़ से जितनी ख़ुशी मिलती है, उतनी किसी और की तारीफ़ से नहीं, वह भी जब नयानया विवाह हो. दुनिया नएनए खुमार से भरी ही तो लगती है. आजकल के कपल्स के बीच रोमांस, मानमनुहार के लिए समय ही नहीं. माया हैरान होती हैं अपने बेटेबहू का लाइफस्टाइल देख कर. दोनों के पास सबकुछ है. बस, समय नहीं है. उस पर भी अब अनिल अपनी नवविवाहिता के हाथ की बनी सब्जी की तारीफ़ करने के बजाय कमी निकाल रहा था. हां, नमक ज्यादा था, हो जाता है कभी कभी. पर सुबह के गए अब मिले हैं, तो इस बात को क्या तूल देना. खैर, उन की लाइफ है, बीच में ज्यादा बोलना ठीक नहीं.

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