Hindi Poetry : हमारे लिए नहीं खरीदा गया
कभी कोई टेडी-बियर
ना सिखाया गया,
अंग्रेजी वाली वो कविता
जिसके बोल, टेडी बियर, टेडी बियर
टर्न अबाउट....!!!

टेडी बियर तो क्या
हमारे लिए नीली आँखों व सुनहरे बालों वाली
गुड़िया भी नहीं खरीदी गई...
कि हमारी अम्मा ही बना देती
नये-पुराने कपड़ों से गुड्डा-गुड़िया
और कुम्हारन बना लाती थी
मिट्टी के बर्तन

भाई बना देता था, सुंदर सा घरौंदा
और फिर....होती थी
गुड्डे संग गुड़िया की शादी!
बस यही खेल,खेलते-खेलते
हम बड़े हो रहे थे...!

ऐसा नहीं था कि हमारे बचपन में
मैग्गी, कॉम्प्लान, व होर्लिक्स
जैसा कोई चीज नहीं था
पर ऐसी चीजें घर पर नहीं आता
हमारे भोजन का विकल्प नपा-तुला ही रहा

कभी कभार यूँ भी होता रहा,
के अम्मा रोटी के छोटे-छोटे टुकड़े कर
फिर हमारे मनपसंद की चीजों का नाम
ले-लेकर खिलाती रही...
कितने वेवकूफ थे हम
हम उन टुकड़ो को हँसते-हँसते खाते
अम्मा बहुत होशियार होती
हर बार हमें बहला-फुसला ही लेती

अब सोचती हूं
इतनी होशियार महिला
उम्र ढलने के साथ इतनी असहज कैसे हो जाती है,
कि अब वो हम पर
अपना अधिकार जताना भी छोड़ चुकी

हमारे लिए बेशक नहीं खरीदा गया
गुड्डा/गुड़िया या खेल खिलौना
पर हमें याद रखना होगा
के हमें तैयार किया गया
ऐसे कि हम हर माहौल में खुश
व एडजस्ट हो सके

हमें सिखाते सिखाते
वो खुद को ही भूल गई
कि अब कहती हूँ
अम्मा अब तुम अपने लिए जिओ
अपने पसन्द की चीजें खरीदो
मां अब तुम छोटी हो जाओ
कि तुम्हारी बेटी बड़ी हो गई है!!!

लेखिका : प्रतिभा 

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