उस की बात पेड़ छांवदार
जिस से उठने का मन न करे
मन करे तो तन न करे.
उस की बात खिला फूल
जो कभी न मुरझाए
वक्त के साथ खिलता जाए.
उस की बात इत्र की बोतल
न खुले तब भी महक आए
और खुले तो जहां महक जाए.
उस की बात मोती का खजाना
हर मोती दूसरे से बढ़ कर
जिन्हें रखा है सोने में मढ़ कर.
उस की बात चांदनी रात
जो ठंडा उजाला भर दे
हर एक जलन को दूर कर दे.
उस की बात बहता झरना
मन में संगीत जगा दे
हर एक दुख को भगा दे.
उस की बात बच्चे की हंसी
जिस को सुनते ही रहो
प्रेम के तागे में बुनते ही रहो.
– शाहिद प्रहरी वारसी
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