ये कौन आ रहा है

आहिस्ताआहिस्ता

नाम तो बता

तनबदन में मेरे

घुसता जा रहा है

दिलोदिमाग में है छाया

इधर आ रहा है

दबे पांव आहट से

सांसें दहला रहा है

तेरे आते पड़ने लगा

अकेलेपन का साया

जिंदगी का मजा

तेरे बिन आ रहा था

दबे पांव आहट से

धड़कनें दहला रहा है

पास आने पर ही है दिखता

बुढ़ापा बड़ा है

तू विकृत अवस्था

है हंसता हुआ

जिंदगी लिए जा रहा था

जवानी के खोए

गीत गा रहा था

ये कौन आ रहा आहिस्ताआहिस्ता

जवानी तो गई

वापस न आती

बुढ़ापा तो आ कर

हमेशा को बसता

अब तक था कच्चा

अब जीवन पकेगा

जीवन तरु का

मीठा फल है बुढ़ापा

रोरो कर इस को

करना न निष्फल

बुढ़ापे को आना है

आ कर रहेगा

दिलदार व्यक्ति

कभी न डरेगा.

– रीता गुप्ता

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