काश, हमतुम न कभी
यों कहीं मिले होते
चाहतों के फिर नहीं
ऐसे सिलसिले होते.
तुम्हें चाह कर भी
न जतलाने की खता मेरी
अपनी तकदीर से
शिकवे न कुछ गिले होते.
चश्मेनम दर्देजिगर
पाते नहीं रातों में
सपने आंखों में मेरी
उन के न पले होते.
ख्वाहिशों की मजारें
बनती नहीं सीने में
बेकसी के चिराग
उन पे न जले होते.
राहों पर तनहा
गुजरने की जो आदत होती
दिल से दिल मिलने के
हादसे टले होते.
जिंदगी कट रही थी
चैनोअमन से अपनी
सर्द आहों के कुसुम
फिर क्यों जलजले होते.
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