वो रस्में वो कसमें
वो मिलनामिलाना
कहां जा छिपा वो
मुकद्दस जमाना
यों छिपछिप के छत से
इशारे न होते
तुम्हारी कसम
हम तुम्हारे न होते
तुम्हें देख हम ने
बदली थीं राहें
मिला जो सहारा
वो तेरी थी बांहें
इस कदर जानलेवा
नजारे न होते
तुम्हारी कसम
हम तुम्हारे न होते
तेरे बिना अब तो
जीवन है सादा
रहना है संग तो
करो आज वादा
कदम दर कदम
सहारे न होते
तुम्हारी कसम
हम तुम्हारे न होते.
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सरिता से और