शबनमशबनम बातें उस की
कलियोंकलियों किस्से हैं
कैसे बताऊं नाम मैं उस का
बागेबहारां जिस से है
देख कर उस का हुस्नेजमाल
सितारे प्रकृति से रूठे हैं
चांद भी उस से जलता है
यह फसाना क्या झूठा है
जुगनू सी चमके है वो
मेरी तनहातनहा रातों में
उस की मुहब्बत में जो गुजरा
दिन वह मेरा अच्छा है
उस की मखमल सी बांहों में
खो जाते हैं दिनरात हमारे
रहती दुनिया तक उस का ही हूं
इतना ही वादा उस से है.
– शमा खान
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