उम्र के हर मोड़ पर हम ने खुद को बहलाया है
खुद पर हंस कर खुद को हंसाया है
कब कौन सा खयाल आया ये कौन जाने
पर इस खयाल ने ही हमें सब से मिलाया है

इस दौरे आतिशी से
हमें नहीं लगता डर हम आग से खेलते हैं
खिलौने की तरह
एक उम्र हुई उम्मीद के सहारे अब ये उम्मीद दगा देने को है

हर सहर भी अब शब लगे एक आरजू है बस ये ही
आरजू न रहे या उम्र न रहे
हम से दिल ले कर
हमें क्या दोगे कर सको तो इतना करना
हमें याद रखना नाज हो हमें भी कि हम कुछ थे.

CLICK HERE                               CLICK HERE                                    CLICK HERE

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...