फागुन में मन कितना बहके

फागुन में मन कितना दहके

होंठों पे होंठों का चुंबन

कैसे हो बांहों का आलिंगन

देखो मन कितना तरसे

फागुन में तन कितना दहके

– रेनू श्रीवास्तव

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