प्रिय से मिल कर
शर्म से लाल हो ली
ऐसे मनी होली
गलियोंचौबारों में
नैनों की पिचकारी चली
लाज शर्म धो ली
ऐसे मनी होली
प्यार की बौछार से
तनमन भीगा
भीगी चोली
ऐसे मनी होली
गुलाल की करामात से
बिगड़ी सूरत भोली
ऐसे मनी होली
नाचनाच कर पायल टूटी
आशिकों में चल गई गोली
ऐसे मनी होली
उतरा जब नशा
पिया की बांहों में सो ली
ऐसे मनी होली.
- डा. अनिता राठौर ‘मंजरी’
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