हर तरफ अजीबोगरीब साए हैं
कुछ अपने हैं, कुछ पराए हैं
सरहदों के उस पार भी हैं अपने कुछ
कुछ अपनों ने अपनों से ही धोखे खाए हैं
कुछ ने इमान को दीवारों में चुनवाए हैं
कुछ मौत के आगोश में समाए हैं
हर तरफ अजीबोगरीब साए हैं
कुछ अपने हैं, कुछ पराए हैं.
– डा. रश्मि गोयल
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