तेरे पूरे खत में आधी बातें
कुछ जागी कुछ सोई रातें
कुछ चूडि़यों की खनक लिए
कुछ टूटी चूडि़यों की वो यादें
रुनझुन पायलिया के बोल
कुछ टूटे झुमके की सौगातें
बहकीबहकी वो मादक सांसें
वो नाजुक करधन में उलझी बातें
याद बहुत आती हैं हम को
आधी उजली काली रातें.
- धीरेंद्र कुमार दुबे
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
सब्सक्रिप्शन के साथ पाए
500 से ज्यादा ऑडियो स्टोरीज
7 हजार से ज्यादा कहानियां
50 से ज्यादा नई कहानियां हर महीने
निजी समस्याओं के समाधान
समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...
सरिता से और