शादी एक एडवैंचर ट्रिप है — युद्ध पर जाने की तरह.
शादी से पहले आंखें पूरी तरह खुली रखनी चाहिए और शादी के बाद आधी मूंद लेनी चाहिए.
उन 2 लोगों का मिलन होता है जिन में से एक कभी सालगिरह याद नहीं रखता और दूसरा उसे कभी भूलता नहीं.
प्यार करो, युद्ध नहीं, बेकार की बातें हैं. शादी करो तो ये दोनों साथसाथ कर सकते हो.
आदर्श विवाह सिर्फ अंधी बीवी और बहरे पति के बीच ही हो सकता है.
शादी एक ऐसी प्रेमकहानी है जिस का नायक पहले अध्याय में ही मर जाता है.
शादी वह रस्म है जिस में औरत के हाथ में अंगूठी और पुरुष की नाक में नकेल पड़ती है.
शादी एक शब्द भर नहीं है, वह एक पूरा वाक्य है.
शादी होने तक मुझे मालूम नहीं था कि खुशी क्या होती है, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी.
सभी शादियां हंसीखुशी संपन्न होती हैं. मुश्किल तो तब आती है जब साथसाथ रहना पड़ता है.
शादी वह रस्म है जिस के बाद पुरुष का अपनेआप पर नियंत्रण नहीं रह जाता.
शादी का सफल होना सही साथी पाने पर ही नहीं बल्कि खुद के सही होने पर भी निर्भर करता है.
मेरी आप को यही सलाह है कि आप शादी जरूर कीजिए. अच्छी पत्नी मिली तो आप सुखी हो जाएंगे और बुरी मिली तो आप दार्शनिक बन जाएंगे.
मैं ने कभी शादी नहीं की, लेकिन लोगों को बताता हूं कि मैं तलाकशुदा हूं ताकि लोग यह न समझें कि मेरे साथ कुछ गड़बड़ है.
यदि विवाह संस्था नहीं होती तो पुरुष और महिलाएं मिल कर किसी अजनबी से लड़ते.
विवाह को सफल बनाने के लिए 2 की जरूरत होती है. असफल बनाने के लिए एक ही काफी है.
मैं ने शादी नहीं की. मुझे उस की जरूरत भी महसूस नहीं हुई. मेरे घर में 3 पालतू प्राणी थे जो पति की जरूरत को पूरा कर देते थे–कुत्ता था, जो सुबह गुर्राता था, तोता था, जो दोपहर भर कसमें खाता था और बिल्ली थी, जो रात को देर से लौटती थी.