देश में सफाई अभियान की लहर में सवार सरकारी बाबू इन दिनों गहरी मंत्रणा में हैं. मैलेकुचैले अफसरों को साफसुथरा रहने, कोई काम न करने और झाड़ू पकड़ने की ट्रेनिंग के साथ सख्त हिदायत दी जा रही है कि जनता का काम छोड़ कर खुद की फैलाई गंदगी साफ करें, भले ही एक दिन के लिए.

इधर उन्होंने देश के सफाई अभियान का हाथ में झाड़ू ले कर शुभारंभ किया तो हमारे साहब ने गिरते हुए औफिस की मंजिल में बीमा करवा कर अपनीअपनी मैलीकुचैली कुरसियों की गद्दियों पर पसरे समस्त मैलेकुचैले कर्मचारियों को देश की सफाई की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए आपातकालीन मीटिंग में संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हे मेरे औफिस के मैलेकुचैले कर्मचारियो, आप को यह जान कर दुख होगा कि हमारे देश की सरकार ने देश में सफाई अभियान शुरू कर दिया है. इस देश में हम जैसों के लिए औफिस ही एक ऐसी सुरक्षित जगह बची है जहां अपनेअपने हिसाब से गंद पा सकते हैं. पर ताजा खबरें आप अखबारों में नित देख रहे हैं कि इस अभियान में अपने चाटुकारपने की आहुति देने के लिए औफिस का कामकाज छोड़ देश के तमाम अधिकारी, जिन्होंने कभी कलम नहीं उठाई, हाथों में झाड़ू लिए देश को साफ करने निकल पड़े हैं.

‘‘वैसे यह दूसरी बात है कि देश में अब साफ करने के लिए बचा ही क्या है? सारा का सारा देश तो कभी का साफ हो चुका है.’’

माथे पर चुहचुहा आए पसीने को पोंछ टेबल पर रखे गिलास से 2 घूंट पानी पी कर बुरा सा मुंह बनाने के बाद साहब ने स्टाफ को संबोधित करना जारी रखा, ‘‘और हां वर्माजी, कल अपने सफेद बाल डाई कर के आना. कहते हैं कि सुंदर कर्मचारियों में सुंदर औफिस निवास करता है. मन को मारो गोली. प्रैस वालों को भी लगे कि मेरे औफिस के कर्मचारी… कड़की चल रही हो तो कैशियर से पैसे ले लो. पहली तारीख को लौटा देना पर कल…और औफिस की महिला कर्मचारियों से मेरा निवेदन रहेगा कि वे कल कम से कम साथ में स्वैटर बुनने को न लाएं. किसी प्रैस वाले की नजर उन पर पड़ गई तो बेकार का बखेड़ा खड़ा हो सकता है.’’

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‘‘पर सर, कल जनता गलती से औफिस में काम करवाने आ गई तो सफाई अभियान में गतिरोध नहीं आएगा क्या?’’ शर्मा ने सवाल उठाया था तो साहब ने कुछ देर तुनकने के बाद कहा था, ‘‘पीए, नोट दिस पौइंट. तो ऐसा करो, कल के लिए नोटिसबोर्ड पर एक नोटिस तुरंत लगा दो कि कल औफिस में सफाई अभियान चलाया जाएगा. इस के चलते औफिस आम जनता के लिए बंद रहेगा. असुविधा के लिए खेद लिखना न भूलना. और कुछ?’’

‘‘पर सर, हमारा औफिस तो जनता के लिए तकरीबन बंद रहता है. ऐसे में नोटिस लगा कागज खराब करने की आखिर जरूरत क्या है?’’

साहब ने पीए की बात की ओर कोई ध्यान न दे गुलाटी से कहा, ‘‘कल तुम दीवारों पर लगे मकड़ी के जाले साफ करोगे. वैसे भी तुम सारा दिन सब की सीटों पर छलांगें लगाते रहते हो.’’

यह सुन सारे स्टाफ में मन ही मन ठहाका गूंजा तो गुलाटी ने बेहिचके कहा, ‘‘पर सर, दीवारों से मकड़ी के जाले हटाएं तो ऐसा न हो कि दीवारों से मकड़ी के जाले झाड़तेझाड़ते सारी रेत ही झड़ पड़े.’’

साहब को लगा कि गुलाटी सही कह रहा है. सो उस के कहने के बाद बड़ी देर तक सोचते रहे, फिर बोले, ‘‘तो जाले प्यार से अपने रूमाल से निकालिएगा, गुलाटी साहब. और हां, मिसेज वर्मा, कल आप अपने बच्चे को प्लीज साथ न लाएं. उस ने कोयले से लिखलिख कर मेरे कमरे तक की दीवारें खराब कर दी हैं. कल आप ही उन सारी दीवारों को साफ करेंगी ताकि कल आप के बच्चे को कोयले से लिखने के लिए दीवारों में कुछ तो साफ जगह मिले. और हां, मिस्टर हेमराज, हमारे औफिस के सरताज, आप हमेशा चूल्हे में जो बुझी लकडि़यां डाल, उस पर खाली पतीला रख, उस में जो कलछी चला सब को उल्लू बनाते रहते हो न, कल सारे फर्शों पर पोंछा करोगे. और सब से जरूरी…कल सब नए कपड़े पहन कर औफिस आएंगे ताकि अखबारों में छपी तसवीरों को देख कर दूसरे औफिस के इंप्लाइज खूबसूरत हों तो हमारे औफिस के कर्मचारियों जैसे.’’

गिलास का बचा पानी एक ही घूंट में पीने के बाद साहब आगे बोले, ‘‘तो मित्रो, अब हम चाहते हैं कि हमारा जनता के बीच बदनाम औफिस भी सरकार के झाडू के साथ झाड़ू मिला गंदगी से मुक्त हो और जनता में यह संदेश जाए कि हम उतने गंदे नहीं, जितने कि हमें माना जाता रहा है.’’

फिर सामने फंगस लगी दीवार पर टंगी महीनों से एक ही जगह रुकी दीवारघड़ी को कुछ देर घूरने के बाद पिलपिलाते बोले, ‘‘तो दोस्तो, कल ठीक 10 बजे हम सभी अपनीअपनी झाड़ू लिए मुसकराते हुए औफिस आएं. घर से पुरानी झाड़ू प्लीज कोई न लाए ताकि जनता को भी पता चले कि हम अपने औफिस की सफाई के प्रति कितने गंभीर हैं. प्रैस वालों के फोटोग्राफर ठीक 10 बजे यहां अपनेअपने कैमरे ले कर आ जाएंगे. ऐसे में कोई भी लेट नहीं होगा. उस के बाद तय मानिए, हम सालभर किसी को नहीं पूछेंगे कि कब कौन आ रहा है, कब कौन कहां जा रहा है. जिन को झाड़ू लगानी नहीं आती उन से अनुरोध है कि वे घर में जा कर अपनी पत्नी या बाई से हर हाल में झाडू कैसे दी जाती है, सीख कर आएं ताकि प्रैस वालों के सामने कम से कम हमारे औफिस की फजीहत न हो.

‘‘याद रहे, कल कोई औफिस से गायब नहीं रहेगा. यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है, इसलिए कल किसी को अवकाश भी नहीं दिया जाएगा, घर में चाहे कितनी ही इमरजैंसी क्यों न हो. जो कल औफिस नहीं आएगा उस को कारण बताओ नोटिस ही नहीं दिया जाएगा बल्कि उस की सर्विस बुक में ऐंट्री भी की जाएगी और उसे विलफुल एबसैंट मार्क किया जाएगा. ऐसा होने पर सर्विस में ब्रेक  माना जाएगा. इसे धमकी नहीं, चेतावनी समझा जाए. आप को एक बार फिर सूचित किया जाता है कि अखबार में छपी खबर की कतरन सरकार को भेजी जाएगी ताकि…’’ फिर थोड़ा रुक कर बोले, ‘‘यह न समझें कि हमारे साहब गीदड़ भभकी दे रहे हैं.’’

उन्होंने सफाई अभियान के मद्देनजर बाकायदा 20 हजार रुपए खर्च कर के रंगीन फोटो सहित प्रैजेंटेशन बनवा कर सफाई मंत्रालय को कूरियर से भेजा भी था पर वह लौट आया क्योंकि सफाई मंत्रालय भी रुपए ऐंठने के अभियान में जुटा है. वह किसी तरह का कोई कागज, चाहे जनता की शिकायत हो या किसी कार्यालय की रिपोर्ट की फाइल, यह ले ही नहीं रहा था. सफाई मंत्रालय जानता है कि न कागज आएंगे न कूड़ा होगा.

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