चुनाव भले ही नगर निगम के थे पर हार की कालिख तो पार्टी के मुंह पर पुती. भई, जब देश का मैंगो पीपुल यानी आम जनता महंगाई और भ्रष्टाचार के दलदल में आकंठ डूब रही हो तो फिर क्या नगर निगम और क्या लोकसभा चुनाव, सियासी कुरसी तो हिलेगी ही.

ऐसा लग रहा था जैसे वे सब तैयार बैठे थे. मतगणना अभी शुरू भी नहीं हुई थी कि पार्टी के बड़बोले महासचिव का बयान आ गया, ‘‘ये नगर निगम के चुनाव हैं. इन के परिणामों को किसी भी राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में नहीं देखा जाना चाहिए. इन चुनावों में स्थानीय मुद्दे हावी रहते हैं, इसलिए इन चुनावों को राष्ट्रीय राजनीति का दिशासूचक नहीं माना जाना चाहिए. हम परिणामों को ले कर आशान्वित हैं, फिर भी जनता जो भी निर्णय देगी, हमें स्वीकार होगा, शिरोधार्य होगा.’’

अब तक मतगणना शुरू हो गई थी. इलैक्ट्रौनिक वोटिंग मशीन तत्परता से वोटों की गिनती में व्यस्त थी, प्रारंभिक रुझान आने भी शुरू हो गए थे. प्रारंभिक रुझानों के अनुसार, सभी क्षेत्रों में पार्टी उम्मीदवार पीछे चल रहे थे. प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों ने बढ़त बना ली थी.

इस बार टीवी चैनल्स पर पार्टी के चुनाव प्रभारी का बयान आया, ‘‘यदि हम चुनाव हार भी जाते हैं तो इस की पूरी जिम्मेदारी मेरी और पार्टी संगठन की होगी, युवराज को इन परिणामों के लिए कतई जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. युवराज ने पूरी क्षमता व उत्साह से इन चुनावों में पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार किया, माहौल बनाया. उन की आम जनसभाओं में, उन के रोड शो में लोगों की भीड़ तो आप सब ने देखी ही है, आप लोगों ने ही तो अपनेअपने टीवी चैनल्स पर दिखाया था कि किस तरह उन्हें देखने, सुनने के लिए जनसैलाब उमड़ा था? अब यदि उन की इस मेहनत का फायदा हमारे प्रत्याशी नहीं उठा पाए, लोगों को अपने पक्ष में वोटिंग करने के लिए मतदान केंद्रों पर नहीं पहुंचा पाए तो इस में दोष हमारा है, पार्टी संगठन का है. युवराज और मैडम को लोगों ने नकार दिया हो, ऐसा कतई नहीं है.’’

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