उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर शहर में गांधी कालोनी जहां ख़त्म होती है, वहां एक बस्ती शुरू होती है जिसे ‘सरवट’ कहा जाता है. वहां समाज में निम्न माने जाने वाले समुदाय के लोग रहते हैं पर वहां के लोग सीधे, सरल और सच्चे हैं. सब मिल कर रहते हैं, इसलिए परेशान करने वाले लोगों से मिल कर निबट लेते हैं. अपने देश का कड़वा सच उन्होंने स्वीकार कर लिया है कि उन में कितनी ही प्रतिभा हो, कितना ही हुनर हो, वे कितना ही पढ़लिख जाएं, उन्हें वह सम्मान समाज कभी नहीं दे सकता जो ऊंची जाति के लोगों को उन के तमाम दोषों के बाद भी मिल जाता है. सरवट में दलित, हिंदू, मुसलिम, ईसाई सब रहते हैं. सरवट पार करते ही रेलवेलाइन है, रेलवे फाटक है जिसे पार कर ने के बाद दूसरी कालोनी शुरू हो जाती है.

सरवट में छोटेछोटे घर हैं जिन में से एक में पिंकी शीशे के आगे खड़ी हो कर ‘चिकनी चमेली’ पर ठुमके लगा रही है, ठीक वैसे ही जैसे कैटरीना ने लगाए थे. कैटरीना को तो इस गाने की तैयारी कई लोगों ने मिल कर करवाई थी पर सरवट की पिंकी ने मनमोहक ठुमके लगाना कहीं किसी क्लास में जा कर नहीं सीखे, यह उस का खुद का हुनर है जिसे उस ने बचपन से ले कर अब तक खुद ही टीवी देख कर निखारा है और अब तो यह हाल है कि उसे प्रोग्राम में बुलाया जाता है जिस का उसे इतना पैसा तो मिल जाता है कि वह अपने सब शौक पूरे कर सके. 12वीं तक पढ़ने के बाद उस ने पढाई छोड़ दी. उसे डांस करने में इतना मजा आता है कि वह इस के लिए अपनी मां शीला और पिता अजय की डांट पूरे दिन सुन सकती है.

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एक दिन पिंकी रोज की तरह घर में नाच रही थी कि इतने में अली अंदर आया. वह नाचतीनाचती रुकी. दोनों वहां कोने में रखी एक चेयर पर बैठ गए. शीला लोगों के घरों में बरतन धोने का काम करती थी. अजय माली थे. दोनों ही इस समय घर में नहीं थे. अली ने कहा, ”आज प्रोग्राम बड़े मंदिर के सामने है?”

”हां.”

”कितने बजे से है?”

”मुझे 9 बजे आने के लिए कहा है. तुम आज दुकान पर नहीं गए?”

”गया था,” कहते हुए अली हंसने लगा, ”पर तुम्हारी याद आ गई, तो बहाना कर के आया हूं. अभी फिर चला जाऊंगा. तुम्हें देखने का मन हो गया अचानक,” कह कर उठ कर अली ने पिंकी के गाल पर किस कर दिया तो पिंकी बनावटी गुस्से से बोली, ”शर्म करो, काम से बच कर आए हो?”

”यह तो देखो, क्यों आया?”

पिंकी ने अब उठ कर उस के गले में बांहें डाल दीं.

दोनों का प्रेमालाप कुछ देर चला. फिर पिंकी ने कहा, ”अब मैं थोड़ी और प्रैक्टिस कर लूं!”

”तुम्हें अब किसी प्रैक्टिस की जरूरत कहां है, एकदम एक्सपर्ट हो गई हो. तुम्हारे ठुमके तो जान ले लेते हैं देखने वालों की!”

”बकवास मत करो, अभी तक तो कोई नहीं मरा मेरे ठुमकों से,” कह कर पिंकी जोर से खिलखिलाई. अली उस की खूबसूरत हंसी में खो कर रह गया. पिंकी का भोला, सुंदर चेहरा कोई एक बार देख ले, तो भूल ही नहीं सकता था. उस के कंधे तक कटे बाल, सम्मोहित करती मुसकान बरबस ही अपना ध्यान अपनी तरफ खींच लेती. अली और पिंकी बचपन के साथी थे. यह साथ अब थोड़ा थोड़ा रोमांस का रूप ले चुका था. दोनों कुछ करीब आ रहे थे. अली कपड़ों की एक बड़ी दुकान में काम करता था.

पिंकी ने काफी देर तक डांस की प्रैक्टिस की. यह भी सच था कि अब उसे इतनी प्रैक्टिस की जरूरत नहीं थी. पर ठुमके लगा कर उसे जो ताजगी मिलती थी, ख़ुशी मिलती थी, उस की बराबरी नहीं थी. आज बड़े मंदिर के सामने वाले ग्राउंड में कोई बड़ी पूजा थी. पूजा तो 8 बजे ख़त्म हो जानी थी पर हमेशा की तरह मंदिर की कमेंटी के हैड सुधीर मिश्रा ने उस का प्रोग्राम रखवाया था. पिंकी को सुधीर मिश्रा से कुछ उलझन होती थी. पर सुधीर का रोब कुछ ऐसा था कि वह इस प्रोग्राम के लिए मना नहीं कर पाई थी. दूसरे, उस का यह भी सोचना था कि उसे यहां डांस करने के पैसे बहुत अच्छे मिलते हैं, तो क्यों मना किया जाए, एक आदमी के लिए इतना बड़ा मौका क्यों छोड़ा जाए.

पैसे की जरूरत किसे नहीं होती, और वह तो, बस, स्टेज पर डांस करना चाहती है. स्टेज कोई भी हो. वह अपने इस हुनर का खुल कर आनंद लेना चाहती थी. पूरे सरवट में लोग उस के ठुमकों के दीवाने थे. इतने में उसे तारिक का ध्यान आया, तारिक… यहीं रहता है. पिंकी को वह भी अली की ही तरह पसंद है. असल में पिंकी दोनों को प्यार करती है, फिलहाल. ज्यादा दूर तक अभी नहीं सोचती पिंकी. जिस से और दिल जुड़ा. वह आगे सोच लेगी. प्यार है दो से, तो है. वह मन ही मन अपने ही सवालों के जवाब देती रहती. क्यों नहीं अच्छे लग सकते दो लोग एकसाथ. और दोनों ही अच्छे हैं. एकदूसरे को तीनों खूब अच्छी तरह जानते, समझते हैं. पिंकी की एकएक प्रौब्लम ये दोनों बचपन से चुटकियों में निबटाते आए हैं. उस के हर प्रोग्राम में हाजिर रहते हैं दोनों.

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पिंकी ने तारिक को फोन मिलाया. पहली घंटी में ही फोन उठ गया. तारिक की आवाज आई, “हां, हां, याद है, प्रोग्राम है आज. अभी साहब को हरिद्वार ले कर आया हूं, ७ बजे तक वापस आ जाऊंगा.‘’

”ठीक है.‘’

शाम को अजय और शीला भी अपनेअपने काम से लौट आए. पिंकी ने शाम का खाना बना लिया था. अपनी मम्मी और पापा को चाय दे कर वह अपने पैरों में नेलपेंट लगाने लगी. अजय ने पूछा, “तैयारी शुरू?”

”ऐसी तो कोई तैयारी नहीं करनी पड़ती अब, पापा, पर हां, तारिक और अली प्रोग्राम में आसपास होते हैं तो थोड़ा हौसला बना रहता है. पापा, आओगे आज देखने?” पिंकी ने हमेशा की तरह अपने पिता से पूछा तो उन्होंने ठंडी सांस ले कर कहा, ”नहीं, बेटा, मैं तुम्हें ऐसे डांस करते हुए देख नहीं पाता.‘’

पिंकी के स्वर में उदासी आ गई, ”आप की बेटी कोई फिल्मस्टार की तरह बड़े प्रोग्राम नहीं करती, अपने शौक के लिए छोटेछोटे प्रोग्राम करती है. आप को शर्म आती है न? क्या करूं, पापा, हमें कौन बड़ा मौका देगा?”

शीला का मन बेटी की इस बात पर भर आया. उसे पुचकारते हुए बोली, “तू दिल छोटा न कर, बेटा, वे पिता हैं, उन की स्थिति को भी समझ. हमारा तुम्हें पूरा साथ मिलेगा. तुझे इस में ख़ुशी मिलती है, तो ठीक है. हां, तारिक और अली तेरे साथ रहते हैं तो हमें भी चिंता नहीं होती, भले लड़के हैं.‘’

तारिक शहर के एक सज्जन बिजनैसमैन अनिल मिश्रा का सालों से ड्राइवर था और अपने इस साहब के साथ खुश रहता. अनिल मिश्रा ने पीछे बैठे हुए ही तारिक की बात सुनी, और मुसकराए, ”आज फिर तुम्हारी फ्रैंड का प्रोग्राम है?”

”जी, साहब.‘’

”अच्छी बात है, लड़की मेहनत करती है, सुना है, डांस भी अच्छा करती है.‘’

”जी, साहब. उसे बहुत शौक है डांस करने का. कभी चिंता नहीं करती कि लोग उस के इस काम को क्या कहेंगे.”

तारिक की आवाज में पिंकी के लिए जो अपनापन, प्यार था, वह अनिल को अच्छा लगा, वे मुसकरा दिए.

जाने के समय तारिक और अली पिंकी को लेने आ गए. रात में कहीं भी पिंकी को जाना हो, इन में से कोई जरूर साथ रहता था. पिंकी को ग्राउंड तक पहुंचा कर दोनों काफी दूर जा कर अलग खड़े हो गए. दोनों के मन में यह बात थी कि यहां इस समय उन दोनों की उपस्थिति पर किसी को कोई आपत्ति न हो.

दोनों मन ही मन पिंकी को प्यार करते थे. पिंकी भी दोनों को प्यार करती थी. पर तारिक और अली ने कभी आपस में इस विषय पर बात नहीं की थी. तीनों बहुत करीबी दोस्त थे. प्रोग्राम शुरू हो गया था. एक सिंगर ने कुछ गाने गाए. फिर पिंकी का डांस शुरू हुआ. माहौल में एक जोश सा भर उठा. लोग झूमझूम जा रहे थे. स्टेज की तरफ खुल कर नोट उड़ाए जा रहे थे. पिंकी के एकएक ठुमके पर लोग अपने दिल पर हाथ रख ‘हायहाय’ करते रहे.

अली हंसा, “ये पिंकी भी न, इसे कोई मतलब नहीं किसी से. बस, डांस में सुधबुध खोने लगती है, कितना अच्छा डांस करती है.”

तारिक ने कहा, ”अच्छीअच्छी बड़ी स्टार्स इस के आगे कुछ नहीं. हमारी पिंकी बैस्ट है.”

प्रोग्राम ख़त्म हुआ, तो पिंकी स्टेज से उतरी और पीछे की तरफ जाने लगी. एक भीड़ जैसे उस के पीछे लपकी, तो सुधीर पांडेय ने पिंकी के चारों तरफ अपने हाथ का घेरा बनाया और चिल्ला कर कहा, ”खबरदार, सब पीछे हटो.‘’

पिंकी की जान में जान आई. पीछे जा कर पिंकी ने कहा, ”प्रोग्राम ठीक रहा न, पांडेय जी?”

सुधीर उस के पास आ गया. उस से शराब की बदबू आई, तो पिंकी पीछे हट गई. वह कहने लगा, ”हमेशा ही अच्छा रहता है. पर अभी प्रोग्राम ख़त्म कहां हुआ, आज मेरे घर चलो.‘’

”नहीं, पांडेयजी, बिलकुल नहीं. आप मेरे साथ ऐसी बातें न करें.‘’

”अरे, फ्री में थोड़े ले जा रहा हूं, पैसे दूंगा.‘’

पिंकी को गुस्सा आ गया, ”अपने पैसे अपने पास रखिए, मुझे मेरे डांस के पैसे अभी दीजिए, बस.‘’

”मेरे साथ चलो, वहीं दूंगा,” कह कर सुधीर ने पिंकी का हाथ पकड़ लिया और उसे अपनी कार की तरफ पकड़ कर ले जाने लगा. सुधीर के 3 साथी भी हंसते हुए उस के साथ चलने लगे. एक ने पास खड़ी कार में पिंकी को जबरदस्ती बैठाने की कोशिश की तो पिंकी ने उस के हाथ में जोर से काट लिया और जैसे ही उस की नजर पास आते तारिक और अली पर पड़ी, वह चिल्लाई, ‘भागो, हम खतरे में हैं.‘’

तीनों सरपट भाग लिए. लोग कभी तीनों को देखते, कभी गालियां देते हुए सुधीर को और जब कार में बैठ कर तीनों का पीछा किया जाने लगा तो मामले की गहराई सब को समझ आई. पर सुधीर के मामले में किसी आम आदमी की बोलने की हिम्मत न थी.

पिंकी ने छोटा कुरता और प्लाजो पहना हुआ था जिस में उसे भागने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी. वह भागतेभागते सुधीर की बात बताए जा रही थी. गांधी कालोनी की सड़कें सीधी थीं, कोई घुमाव, मोड़ नहीं था, छिप जाना संभव नहीं था. गलियों में तारिक ने भागतेभागते अनिल मिश्रा को फोन पर जल्दीजल्दी सब बता कर फौरन हैल्प मांगी. अली ने भी अपने मालिक को लगभग चिल्लाते हुए बता कर हैल्प मांगी. पर सुधीर की कार की स्पीड से जीत न पाए. कार से निकल कर सुधीर के आदमी पिंकी को जबरदस्ती कार में बिठाने की कोशिश करने लगे. पर पिंकी ने उन्हें यहांवहां काट कर अपने को बचाने में जान लगा दी. तारिक और अली निहत्थे थे पर न आव देखा, न ताव, गुंडों पर पिल पड़े. तारिक ने मौका देख कार की चाबी निकाल कर बहुत दूर अंधेरे में फेंक दी. दोनों को गुंडे खूब मार भी रहे थे पर तारिक और अली ने पिंकी के चारों तरफ ऐसा घेरा बना लिया कि पिटते रहने के बाद भी वे पिंकी की पूरी हिफाजत कर रहे थे. इतने में अनिल मिश्रा और अली की दुकान के मालिक हसन खान पुलिस को ले कर पहुंच गए. अनिल मिश्रा की समाज में बहुत इज़्ज़त थी. बुजुर्ग हसन खान देखने से ही नेक इंसान लगते थे, उन्होंने बच्चों की पूरी बात सुन कर पुलिस से कहा, ”सब आप के सामने है, आप देख लीजिए, क्या करना है.‘’

पुलिस वाले सुधीर पांडेय की रोजरोज की शिकायतों से वैसे ही परेशान थे. एक पुलिस वाले ने कहा, ”जब तक इन जैसों के लिए ऊपर से कोई फोन आए, तब तक हम इन के हालचाल जल्दी ही ले लेते हैं, चलो सब,” और पुलिस वालों ने एकएक डंडा सब को लगाया. सुधीर चिल्लाया, ”तू नहीं जानता हम कौन हैं, तुझे हम देख लेंगे,” और अली व तारिक की तरफ देख कर कहा, ”तुम लोगों से इस का बदला जरूर लेंगे.‘’

पिंकी, तारिक और अली ने अनिल मिश्रा और हसन खान के सामने हाथ जोड़ दिए, “धन्यवाद” कहा. अनिल ने कहा, ”आओ, कार में बैठो, मैं सब को छोड़ देता हूं.‘’

सरवट के बाहर तीनों को उतार कर अनिल फिर हसन खान को छोड़ने चले गए. पिंकी बिलकुल चुप थी, सदमे में थी. घर के बाहर रुक कर उस ने डबडबाई आंख से दोनों को देखा, भरे गले से सौरी कहा, तो दोनों हंसने लगे, ”ड्रामा मत करो, पिंकी रानी, ऐसा कुछ नहीं हुआ है कि तुम्हारी आंखों में इतने आंसू आ जाएं.‘’

”बकवास मत करो, तुम दोनों की चोटें मुझे दिख रही है, अंधी नहीं हूं मैं.”

”तुम पर ऐसी हजार चोटें कुर्बान हैं,” तारिक ने कहा, तो अली ने हंसते हुए कहा, ”हम तो तुम्हारे अगले प्रोग्राम पर भी ऐसे ही साथ जाएंगे, हां, बस, दूसरा प्रोग्राम तब हाथ में लेना जब जरा हमारी चोटें ठीक हो जाएं.”

पिंकी को हंसी आ गई, बहुत बेशर्म हो दोनों. अच्छा, यह बताओ, ये सुधीर पांडेय परेशान तो नहीं करेगा हम सब को?”

”कितना भी परेशान कर ले, तुम्हारे ठुमके हम जीते जी रुकने नहीं देंगे. हमारी पिंकी को अगर डांस करना अच्छा लगता है तो वह जरूर करेगी.” तीनों की आवाज सुन कर अजय और शीला भी बाहर आ गए. तारिक और अली के शरीर से खून निकलती चोटों को देख वे बुरी तरह चौंके, ”क्या हुआ बच्चो?”

”कुछ नहीं, मौसी, सड़क पर घूमते हुए वापस आ रहे थे कि कुछ कुत्ते पीछे पड़ गए, भागे तो सामने से आती कार से थोड़ा टक्कर हो गई.”

”ओह्ह, आओ, दवाई लगा दूं.”

”नहीं, आंटी, घर जाते हैं, अम्मी भी राह देख रही होंगी,” कह कर दोनों जाने के लिए मुड़ गए. अचानक पीछे मुड़ कर देखा तो पिंकी नम आंखें लिए उन्हें जाते हुए देख रही थी, तीनों एकदूसरे को देख प्यार से मुसकरा दिए.

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