Romantic Story In Hindi : सोशल डायरीज कैफे. जी हां, यही नाम था उस कैफे का. तकरीबन 8 वर्षों पहले वह ठेठ देहात से शहर के एक बड़े विश्वविद्यालय में पढऩे आया था, जहां उस की मुलाकात रूपाली से हुई थी. रूपाली ने इसी कैफे पर पहली दफा उसे मिलने के लिए बुलाया था.

इधर आप सोच रहे होंगे कि किसी कैफे का यह कैसा नाम- सोशल डायरीज कैफे. लेकिन वाकई में यह कैफे शहर में बहुत चर्चित जगह थी, खासकर युवाओं की लंबीलंबी गपशप के लिए. छात्रसंघ चुनावों में तो यहां युवाओं का जमघट लगता था. कई प्रेमी युगल घंटों यहां बैठेबैठे गुटरगुटर किया करते थे. इस दरमियान कैफे वाला समय की नजाकत को भांप कर पार्श्व में उसी अनुरूप संगीत की स्वरलहरियां छोडऩे लगता था. एक के बाद एक दिलकश नगमे...

बस, आप तो कैपुचिनो का और्डर दीजिए और उस के एकएक घूंट के साथ एकदूसरे की आंखों में आंखें डाल कर दबे होंठों से नगमे गुनगुनाते जाइए. कैपुचिनो के साथ यहां कईयों का प्रेम परवान चढ़ा, तो कईयों का धूमिल हुआ. उस समय यहां सोशल डिस्टेंसिंग और दो गज की दूरी की बाध्यता का प्रावधान भी नहीं था. बड़ा ही दिलचस्प माहौल था इस कैफे का.

कैफे का यह नाम कई बार भ्रम की स्थिति उत्पन्न करता था. उस दिन रूपाली ने उसे फोन पर कहा, ‘दीपक, तुम ठीक शाम 5 बजे सोशल डायरीज कैफे मुझ से मिलने आ जाना.’ इधर लडक़े तो वैसे भी लडक़ी से मिलने के नाम से ही हमेशा जल्दबाजी में रहते हैं. इसी उधेड़बुन में उस ने ठीक से सुना नहीं और सही समय पर वहां पहुंचने को ‘हां’ कर दी.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...