Best Hindi Poem : सुनो ...
तुम पुरुष तो हो नहीं
की नहाने के बाद
तुम्हें खाना मिल जाएगा
और चुपचाप खाके सो जाओगी।
महिला हो सुबह उठकर सबसे पहले तुम्हें नहाना ही पड़ेगा।
थोड़ी देर मंदिर में जाकर भगवान को भी हाजिरी लगानी होगी।
फिर घड़ी की तरफ देखना होगा ...
कि अरे समय क्या हुआ है। ..
क्योंकि टाइम मैनेजमेंट तो तुम्हें खूब आता है।
तो घड़ी देखकर थोड़ा रिलैक्स होवोगी और मन ही मन कहोगी।
चलो अच्छा है अभी दो घंटे का टाइम है जल्दी से नाश्ता और उनके ऑफिस का लंच तैयार कर लेती हूं।

तुम अपने गीले बालों का जुड़ा बनाओगी और
साड़ी का पल्लू संभालोगी फ़िर घुस जाओगी
रसोईं घर में।
लेकिन यहां पर याद रखना हां..
अभी पानी का एक घूंट भी नहीं गया है तुम्हारे भीतर।
तुम्हें इसका अहसास नहीं पर कोई बात नहीं ये तो तुम्हारा रोज का काम है ..
और आदत पड़ चुकी है अब।
खैर सोचोगी नाश्ते में क्या बना लूं..
अब समय बीत रहा है तो जल्दबाजी में पूरी सब्जी बनाने का ही डिसाइड कर लोगी।
सब्जी छौंक कर आटा गूंथ लोगी
और दूसरे चूल्हे पर चढ़ा लोगी चाय ..
फिर अचानक याद आएगा एक जरूरी काम तो तुमने किया ही नहीं।
उन्हें जगाना भी तो है..
जो सात बजे ऑफिस से घर आते हैं,
कुछ स्नैक्स लेते हैं चाय के साथ,
फोन पर बतियाने हैं,
खाना खाते हैं,
तुम्हारे कहने पर थोड़ा बहोत तुमसे बात कर लेते हैं
और रात के दो बजे तक अपनी पसंदीदा फिल्म देखकर सो जाते हैं..
क्योंकि वो थके होते हैं।

तो उन्हें जगाना भी तो है..
तुम गरम गरम एक एक पूरियां तल कर देती हो उन्हें खिलाती हो..
क्योंकि उन्हें पसंद है गरम क्रिस्पी पूरियां
कितना ख्याल रखती हो उनकी पसंद नापसंद का
इसी तरह तो तुम अपना धर्म निभाती हों।
खैर टिफिन बॉक्स तैयार करके तुम उन्हें ऑफिस भेज देती हो।
अब आती है तुम्हारे हिस्से में थोड़ी सी फुर्सत..
याद रखना फुर्सत थोड़ी ही है.. क्योंकि घर तो अभी भी फैला पड़ा है पूरा।
तो तुम एक ग्लास पानी, एक कप चाय और प्लेट में आलू की भुजिया और चार ठंडी पूरियां लेकर बैठती हो।
पसंद तो तुम्हें भी हैं.. गर्म क्रिस्पी पूरियां।
पर तुम्हारे मन में ये ख्याल कभी नहीं आता
तुम उठती हो और घंटे भर में घर का सारा काम निपटाती हो.. और थक जाती हो।
तुम ये भी नहीं देखती कि.. तुम्हारी टेबल पर तुम्हारी पसंदीदा किताब रखी हुई है जिसके केवल दस पेज ही पढ़े हैं अब तक तुमने.. और दो दिनों से उसका एक पन्ना तक नहीं पलटा है।
तुम ये भी नहीं सोचती कि.. पिछले दो  दिनों से तुमने अपना पसंदीदा गाना तक नहीं सुना है ।
खैर तुम बिस्तर पे आती हो दो चार रील सरकाती हो..
अपनी बहनों से बात करती हो और सो जाती हो..
बचपन से लेकर अब तक तुम्हारे मन में ये एक ख्याल कभी नहीं आया.. कि नहाऊँ, खाऊं और सो जाऊं
क्रिस्पी पूरियों की महक से थोड़ा मैं भी आनंदित हो जाऊं
ये तुम नहीं सोच सकती कभी भी नहीं
क्योंकि कुछ सुख सिर्फ पुरुषों के हिस्से ही आते हैं
और वो सुख तुम ही उन्हें दे पाती हो..
इस तरह तुम अपना धर्म निभाती हो।

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