लेखिका - ऋचा बंसल
आज होलिका दहन हो रहा था. मेरी बेटी सोनू मेरे पास बैठी होलिका दहन देख रही थी. अचानक सोनू ने कहा, ‘‘मम्मी, कल कालेज में हमारी कक्षा में सब बात कर रहे थे कि कालेज की एक लड़की का कुछ दिनों पहले बलात्कार हुआ था, अब वह पागल हो गई है.’’
‘‘वास्तव में बेटा यह ऐसा घिनौना सच है कि जब कोई इस से रूबरू होता है, उस के बाद अगर वह मानसिक रूप से कमजोर होता है तो सामाजिक बरताव के कारण अपना दिमागी संतुलन खो बैठता है.’’
सोनू थोड़ी देर बात कर के अंदर चली गई पर मेरा मन जैसे अतीत में चला गया और मेरा नासूर बना दर्द वापस जाग्रत हो गया.
होली का दिन था. सब होली खेल कर अपने घर जा चुके थे. शाम होने को आ गई, मेरे पति हमेशा की तरह आज भी अभी तक नहीं आए थे. शराब पी कर कहीं बैठे होंगे. अचानक बारिश शुरू हो गई. बिजली चमक रही थी और बादल गरज रहे थे. मैं और मेरी बेटी सोनू इन का इंतजार कर रहे थे.
रात 12 बजे दरवाजे पर घंटी बजी. मुझे लगा कि मेरे पति आ गए, मैं ने दरवाजा खोला तो अजय खड़ा था. अजयविजय 2 भाई थे, हमारे घर के सामने रहते थे. जब ये दोनों 2 साल के थे तब से मैं इन को जानती थी. आज दोनों 20 साल के हो गए थे. जब भी मेरे पति शराब पी कर किसी नाले के पास पड़े होते थे तो मैं इन दोनों भाइयों में से किसी एक के साथ जा कर उन्हें लाया करती थी.
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