विनायक काफी हद तक सोनम की यादों की गिरफ्त से दूर हो चुका था. उस ने बातों ही बातों में सोनम को बताया था कि वह उस से बेइंतिहा प्यार करता है और उस के बिना जी नहीं सकता पर उस से दूर हुए 2 महीने हो गए थे और वह जी रहा था और खुशीखुशी जी रहा था. सोनम के खयालों में पहले उस का काफी समय बरबाद होता था पर अब ऐसा नहीं है. अब वह औफिस के काम के साथसाथ अपनी हौबीज को भी पूरा समय दे रहा था और यह बात वह सोनम को बताना चाहता था.

‘‘मैं वह नहीं जो प्यार में रो कर गुजार दूं, परछाईं भी यह तेरी ठोकर से मार दूं...’’ उस के जेहन में गाने के बोल तैर गए.

अब न तो सोनम उस के पास आती थी और न वह सोनम के पास जाता था, जबतक आवश्यक औफिशियल काम नहीं होता. मगर अपनी बात सोनम को बतानी तो थी ही. उस ने सोनम को यह बताने के लिए पत्र लिखना मुनासिब सम?ा. लैटर पैड पर उस ने अपने मन के भाव लिख डाले :

‘‘सोनम, ‘‘बहुतबहुत धन्यवाद तुम्हारा. ‘‘अब तुम सोच रही होंगी कि धन्यवाद किस बात का जबकि तुम बेवफाई पर उतर आई हो. दरअसल इसे बेवफाई कहना उचित भी नहीं होगा. मैं ही कौन सा वफादार था. बेवफाई मैं भी कर रहा था अपनी पत्नी से. पत्नी से बेवफाई और तुम से बेहयाई. उधर तुम भी अपने पति से बेवफाई कर रही थीं.

‘‘पर इतना तो तय है कि बेहयाई सिर्फ मेरी ओर से ही नहीं, तुम्हारा भी इस में बराबर का योगदान था. यदि कहूं कि पहल तुम्हारी ओर से ही थी तो शायद तुम भी.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...