पूर्व कथा

मानसी की जिंदगी में राज आया और चला गया तब उस को मनोहर से प्यार हो गया  और फिर विवाह. मनोहर की शराब पीने की आदत से बेजार मानसी आखिरकार उस से तलाक लेने का निर्णय ले लेती है. मनोहर को जब पता चलता है तब वह रो पड़ता है. वह मानसी को यकीन दिलाता है कि वह शराब छोड़ देगा. अब वह चोरीछिपे शराब पीने लगता है. तब सब के बहुत समझाने के बाद भी मानसी आखिकार तलाक ले लेती है और अपनी बच्ची चांदनी के साथ अलग रहने लगती है.

मनोहर अब और ज्यादा शराब पीने लगता है. उसे उम्मीद नहीं थी कि मानसी उसे इस तरह तलाक भी दे सकती है. वह अपनी मां को भी दोष देता है कि इस सब के पीछे वह भी जिम्मेदार है क्योंकि वह भी मानसी को हर समय कोसती रहती थी. उस के पिता उस की इस हालत से तंग आ कर अपने बड़े बेटे राकेश को बंगलौर से बुलाते हैं.

गतांक से आगे.......

‘अब तुम ही संभालो, राकेश. मैं हार चुका हूं,’ मनोहर के पिता के स्वर में गहरी हताशा थी.

‘मनोहर, तुम पीना छोड़ दो,’ राकेश बोला.

‘नहीं छोड़ूंगा.’

‘तुम्हारी हर जरूरत पूरी होगी बशर्ते तुम पीना छोड़ दो.’

राकेश के कथन पर मनोहर बोला, ‘मुझे कुछ नहीं चाहिए सिवा चांदनी और मानसी के.’

‘मानसी अब तुम्हारी जिंदगी में नहीं है. बेहतर होगा तुम अपनी आदत में सुधार ला कर फिर से नई जिंदगी शुरू करो. मैं तुम्हें अपनी कंपनी में काम दिलवा दूंगा.’ मुझे शादी नहीं करनी.’

‘मत करो शादी पर काम तो कर सकते हो.’

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