Diwali 2025 : जब से तकनीक और बाजार लोगों के घरों में घुसे हैं, तब से हमारे त्योहार भी इस की जद में आ गए हैं. यही वजह है कि इस बार दीवाली के त्योहार पर एक इश्तिहार टैलीविजन की स्क्रीन पर तैर रहा है, जिस में एक बुजुर्ग कार से उतरने से पहले बोलते हैं कि यार, कमर टूट गई है. तो कार ड्राइव कर रही एक मौडर्न लड़की सवाल करती है कि क्या जरूरत थी सब के घर जा कर विश करने की, विश तो मैसेज पर भी कर सकते थे न?

इस पर वे बुजुर्ग मुसकरा कर कहते हैं कि देखो, टैक्नोलौजी इतनी भी एडवांस नहीं हुई है कि हम मैसेज पर मुंह मीठा कर पाएं. यह इश्तिहार आज के समाज का आईना है, जहां बड़े मैट्रो शहरों के बड़े घरों में रहने वाले नौजवान ही नहीं, बल्कि छोटे शहरों के छोटे घरों में रह रही नई पीढ़ी की नुमाइंदगी करने वाले भी दीवाली पर घर की सफाई के लिए अर्बन क्लैप जैसी प्रोफैशनल कंपनी का सहारा लेने की सोचते हैं, पर त्योहार के बहाने हम अपने परिवार, पड़ोस और पहचान वालों के लिए क्या महसूस कर सकते हैं, इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता.

इसे एक उदाहरण से सम झते हैं. 21 साल का अरुण हरियाणा के पानीपत शहर में सैक्टर एरिया में रहता है. छोटा शहर है, घर भी छोटा है, पर जब अरुण की मम्मी ने एक रविवार को उसे सुबहसुबह उठते ही पूरे घर के पंखे और अलमारियां साफ करने को कहा तो अरुण के मुंह का जायका बिगड़ गया. बड़ी नानुकुर के बाद अरुण ने यह काम करने का बीड़ा उठाया. स्टूल पर चढ़ कर अपने हाथ से एकएक पंखा साफ किया, फिर अलमारियों से भी धूलमिट्टी हटाई तो उसे महसूस हुआ कि जिस घर में वह इतने वर्षों से रह रहा है, उस से वह पूरी तरह से परिचित ही नहीं है. वजह, अरुण या तो कालेज के चलते घर से बाहर रहता है या फिर अपने कमरे में मोबाइल ले कर पड़ा रहता है. एक दिन के जरा से इस काम से अरुण को अपने घर से जुड़ाव महसूस हुआ.

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