Road Safety: सडक पर गड्ढों में हिचकोले खाते सफर करना हर किसी का अनुभव होता है. ऐसे में लोग सरकार सहित संबंधित निकाय नगरनिगम वगैरह और पीडब्ल्यू को कोसते मंजिल पर पहुंच कर गड्ढों की वजह से झेली परेशानी भूल जाते हैं. देश की बिरली ही सड़क गड्ढा विहीन होगी.

ऐसे में लोगों को रोड टैक्स अदा करने और टोल टैक्स देने में भी तकलीफ होना स्वभाविक है. कुछ जागरूक लोग शिकायत भी करते हैं पर होता जाता कुछ नहीं. सड़क माफिया अपना सीना ताने भ्रष्टाचार और मनमानी में यह सोचते लिप्त रहता है कि हमारा कोई क्या बिगाड़ लेगा. लोग मरते हैं तो मरते रहें, घायल होते हैं तो होते रहें, उन के वाहन खटारा होते हैं तो होते रहें हमारी बला से.

लेकिन इस मनमानी पर अंकुश लगने की उम्मीद जगाई है बौम्बे हाईकोर्ट ने जिसने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि सड़क पर गड्ढे किसी प्राकृतिक आपदा का परिणाम नहीं बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा हैं यदि सड़कों की ख़राब स्थिति के कारण किसी नागरिक को नुकसान होता है तो सम्बंधित नगरपालिका या प्रशासन उसे उचित मुआवजा देने का जिम्मेदार है. मुआवजा देने में ढिलाई प्रशासन की लापरवाही का संकेत है और यह संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. यानी साफ और सुरक्षित सड़क हर नागरिक का मौलिक अधिकार है.

महाराष्ट्र में इसे जवाबदेही मौडल कहा जाने लगा है. हुआ यूं था कि साल 2023 में ठाणे का एक 28 वर्षीय युवक स्कूटी से गड्ढे में गिर कर घायल हो गया था. उस के परिवारजनों ने बजाय सिर्फ भुनभुनाने के नगर निगम पर लापरवाही का आरोप लगाते अदालत में याचिका दायर कर दी. जांच में साबित हुआ कि सड़क का ठेका जैसा कि आमतौर पर होता है बिना गुणवत्ता जांच के पास कर दिया गया था. हाई कोर्ट ने न केवल युवक को मुआवजा दिलाया बल्कि सम्बंधित इंजीनियर पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी ठोका. हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मुआवजे का कुछ हिस्सा सरकार को देना होगा और कुछ दोषी अधिकारी से वसूला जाएगा. मौत होने पर मुआवजा राशि 6 लाख रुपए तक और घायल होने पर 50 हजार रुपए से शुरू होगी.

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