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घर की घंटी बजी, तो सुषमा दरवाजा खोलने के लिए आगे बढ़ीं.

‘‘जी, आप कौन?’’

‘‘नमस्ते माता जी, मु झे राकेश ने भेजा है. वो इस महीने का किराया नहीं मिला, तो आप से लेने के लिए कहा है.’’

‘‘अरे बेटा, आप गलत जगह आ गए हैं. यह हमारा घर है. हम किराएदार नहीं हैं.’’

‘‘माताजी, अमरकांतजी यहीं रहते हैं न?’’

‘‘हां, रहते तो हैं.’’

‘‘तो किराया क्यों नहीं देतीं? देखिए मेरे पास आप से बहस करने का वक्त नहीं है,’’ दरवाजे पर खड़े शख्स ने भिन्ना कर कहा.

आवाजें सुन कर अमरकांत नीचे आए, तो उन्हें पूरे मामले का पता चला. जब उन्हें इस बात का ज्ञान हुआ कि रीमा उन के साथ इतना बड़ा षड्यंत्र रच कर गई है तो उन के पैरोंतले जमीन खिसक गई. अपनी खुद की बेटी, जिस पर उन्हें खुद से भी ज्यादा भरोसा था, जिसे वह अपने बुढ़ापे की लाठी सम झते थे, ऐसा घिनौना खेल खेल कर जाएगी, इस की उन्होंने सपने में भी कभी कल्पना नहीं की थी. इस विश्वासघात ने उन्हें अंदर तक छलनी कर दिया था. अचानक दिल में दर्द उठा और सीने पर हाथ रखे तड़पने लगे. सुषमा और दरवाजे पर खड़े शख्स ने उन्हें सहारा दिया, अस्पताल ले कर गए.

पापा के हार्टअटैक की खबर सृष्टि को मिली तो वह दौड़ीदौड़ी अस्पताल आई. आईसीयू के बाहर मां को रोता देख उस की भी आंखों में आंसू आ गए. जब मां ने उसे पूरा हाल सुनाया तो उसे विश्वास नहीं हुआ कि जो उस ने सुना वह सच था या उस से सुनने में कोई गलती हुई है. जिसे वह आदर्शों का पुतला सम झती थी वह रीमा इतनी लालची निकलेगी, इस का उसे कभी खयाल तक नहीं आया था.

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