‘पानी, पानी, पानी दो मुझे. गला सूख रहा है मेरा. ओह मां, कहां हो?’ यह सुन कर अस्पताल के कमरे में बैड के पास ही कुरसी पर आंखें मूंदे बैठी किरण हड़बड़ा कर हरकत में आ गई. उस ने देखा, उस की बहू पूजा होश में आ गई है जो इधरउधर देखती हुई पानी मांग रही है.
रात के 3 बज रहे थे. ऐसे में किरण ने डाक्टर को बुला लेना ही उचित सम?ा कर कौलबेल का स्विच दबा दिया. तुरंत ही डाक्टर व नर्स आ पहुंचे और पूजा का चैकअप करने लगे.
कल शाम पूजा खरीदारी कर के घर लौट रही थी, तभी सामने से तेजी से आते ट्रक ने उस की कार को साइड से टक्कर मार दी थी. कार उलट गई थी और ट्रक वाला भाग गया था. हादसा देखने वाले कुछ लोगों ने तुरंत ही पुलिस की सहायता ली और पूजा को अस्पताल पहुंचाया. उस के सिर पर गहरी चोट आई थी. बहुत खून बह चुका था और वह बेहोश थी. घर पर सूचना मिलते ही किरण, उस का पति विवेक और बेटा जयंत अस्पताल पहुंच गए थे.
डाक्टरों ने पूजा का यथासंभव उपचार किया. उसे खून भी चढ़ाया गया, फिर भी उस की हालत स्थिर नहीं थी. जब तक उसे होश नहीं आ जाता, खतरा मंडरा रहा था. अब उसे होश आया देख किरण की जान में जान आई थी.
किरण कुछ देर तो वहीं खड़ी रही, फिर डाक्टर और नर्स को कमरे में छोड़ कर बालकनी में चली गई और खुली हवा में उस ने सांस ली. मद्धिम चांदनी बिखेरता पूर्णिमा का चांद ढलने को था जिस से तारों में और भी चमक आ गई थी. चारों तरफ शांति थी.
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