आरती और सनाया दोनों सहेलियां बचपन से ही सगी बहनों की तरह रहती हैं. आरती के परिवार में सिर्फ उस के पापा हैं जो प्रतिष्ठित उद्योगपति हैं. उस के पापा ने उसे मां और पापा दोनों का प्यार दिया है. आरती में उन की जान बसती है. जबकि सनाया के परिवार में उस के बड़े भैया व भाभी हैं. उस के भैया एक कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं. उन की कोई संतान नहीं है. वे सनाया को ही अपनी संतान सम?ाते हैं.
दोनों सहेलियां एक ही यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर रही हैं. रोहित, आरती का मंगेतर, भी उसी यूनिवर्सिटी में पढ़ता है. वह एक मध्यवर्गीय परिवार का लड़का है. उस के मातापिता दिनरात एक कर के अपने बेटे के सपने पूरे करने में लगे रहते हैं. इस के बावजूद वह बहुत ही रंगीनमिजाज है.
एक दिन आरती और सनाया यूनिवर्सिटी की कैंटीन में बैठे बतिया रही थीं. अचानक उन की नजर एक कोने में बैठे एक जोड़े पर पड़ी और वे सकते में आ गईं. आरती के तो होश ही उड़ गए. वह लड़का रोहित ही था जो किसी और लड़की के साथ बांहों में बांहें डाले बैठा था. कुछ क्षण वह उन दोनों की बेशर्मी को एकटक निराश मन से देखती रही. फिर थोड़ा रुक कर वह रोहित के पास गई और उसे एक जोर का तमाचा जड़ दिया. साथ ही, उस से अपने सारे रिश्ते तोड़ लिए.
आरती आगेआगे और रोहित उस के पीछेपीछे. ‘‘आरती सुनो तो, तुम ने जो भी कुछ देखा वह गलतफहमी है और कुछ नहीं.’’ आरती बिना कुछ सुने कार में बैठ घर को चल दी.