कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

‘‘कुछ नहीं, बस, जुकाम ही है,’’ अनुपमजी ने जवाब दिया.

सभी साथ में डिनर कर फिर प्रोजैक्ट पर बातचीत करने लगते हैं.

देखते ही देखते साहिल को बिजनैस संभालते हुए 2 साल हो जाते है. इसी बीच उन की कंपनी के एक महत्त्वपूर्ण कर्मचारी का ऐक्सिडैंट हो जाता है, जिस वजह से वह कर्मचारी कोमा में चला जाता है और कंपनी के एक प्रोजैक्ट का कामकाज रुक सा जाता है.

गायत्री बोलती हैं. ‘‘भैया, मु?ो लगता है हमे इस प्रोजैक्ट के लिए कोई दूसरा कर्मचारी रख लेना चाहिए.’’

‘‘नहीं मां, यह प्रोजैक्ट मैं हैंडल करना चाहता हूं,’’ साहिल ने कहा.

‘‘ओके बेटा. पर तुम्हें भी एक सैक्रेटरी की जरूरत होगी,’’ गायत्री ने जवाब दिया.

‘‘तो तय हुआ कि सैक्रेटरी पद के लिए इंटरव्यू का आयोजन रखते हैं,’’ अनुपम ने कहा.

‘‘हां बिलकुल,’’ गायत्री ने हामी भरते हुए कहा.

दस दिनों बाद गायत्री, अनुपमजी और साहिल तीनों ही एक कमरे बैठे इंटरव्यू ले रहे थे, पर कोई लड़की साहिल को सम?ा ही नहीं आ रही थी. तभी एक और आवाज आती है, ‘‘मे आई कम इन, सर?’’

‘‘सनाया, तुम.’’ साहिल चौंक कर खड़ा हो जाता है.

सनाया ने कई बार साहिल को रोहित के साथ देखा होता है तो उस के मन में साहिल के लिए भी वही फीलिंग आ जाती है, जो वह रोहित के लिए महसूस करती है और उस का मन नफरत से भर जाता है, परंतु मजबूरी के कारण उसे यह जौब करनी ही होगी, इसीलिए वह साहिल के यस कहने पर अंदर आ जाती है. उस के डौक्यूमैंट देख व उसे जौब दे कर इंटरव्यू का वही समापन कर साहिल यह जौब सनाया को देने की सिफारिश करने लगता है (क्योंकि वह सनाया को कालेज टाइम से ही पसंद करता था). तीनों कुछ डिस्कशन के बाद सनाया को अपौइंटमैंट लैटर देने का और्डर देते है. अनुपम और गायत्री दोनों एकसाथ बोल पड़ते हैं, ‘‘तुम इस लड़की को पहले से जानते हो?’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...