अगले ही दिन साहिल और सनाया अपने ट्रिप पर निकल जाते हैं. तकरीबन एक महीने बाद जब वे वापस लौटते हैं तो सनाया को भी फ्लू हो चुका होता है और साथ ही वौमिटिंग भी होती है. अनुपम यह सब देख कर बहुत दुखी होता है.
साहिल कहता है, ‘‘मां, मेरा फ्लू तो इसे भी लग गया, जरूर मु?ा ही से इन्फैक्शन हुआ होगा इसे. मैं इसे डाक्टर के पास ले जाता हूं.’’
‘‘नहींनहीं, तुम नहीं, मैं ले जाती हूं.’’
गायत्री सनाया को ले कर हौस्पिटल जाती हैं.
डाक्टर कहते हैं, ‘‘ये कौन है, भाभीजी?’’
‘‘यह मेरी बहू है,’’ गायत्री ने हिचकिचाते हुए जवाब दिया.
‘‘क्या हुआ है इन्हें... फ्लू,’’ डाक्टर ने अंदाजा लगाते हुए पूछा.
‘‘जी,’’ गायत्री ने कहा.
डाक्टर ने कहा, ‘‘ये टैस्ट करवाओ बेटा और भाभीजी, आप जरा यहीं रुकिए.’’ सनाया के जाते ही डाक्टर ने गायत्री से कहा, ‘‘आप यह क्या कर रही हैं भाभीजी, आप ने साहिल की शादी क्यों करवाई?’’
‘‘वह सब छोडि़ए, आप प्लीज किसी को कुछ न बताएं.’’
‘‘ओके, पर आप ने बहुत गलत किया है उस बच्ची के साथ.’’
‘‘मु?ो जाना होगा, मैं सनाया को अकेले हौस्पिटल में नहीं छोड़ सकती.’’
गायत्री सनाया के सारे टैस्ट करवा कर उसे घर ले जाती हैं और अगले दिन खुद रिपोर्ट लेने जाती हैं, पर उन के आने से पहले ही सनाया सारी रिपोर्ट्स ले कर देख लेती है. एचआईवी पौजिटिव और प्रैग्नैंसी पौजिटिव.
‘‘ओह... तो इसीलिए कल डाक्टर
मां से...’’
‘‘बेटा, तुम मेरी बेटी हो, मैं तुम्हारा इलाज करवाऊंगी,’’ गायत्री पीछे से कहती हैं.
‘‘मैं आप की बेटी हूं, इसीलिए आप ने मु?ो मौत के मुंह में धकेल दिया. सम?ा नहीं आ रहा है मां कि मु?ो मां बनने की खुशी होनी चाहिए या...’’ सनाया ने रोते हुए कहा.