संयोग से सचिन और मीरा को विदेश जाने में कोई रुचि न थी, दोनों ने विद्या के साथ रहते हुए ही अपने क्षेत्र में विशेषता प्राप्त कर ली थी. कैंपस सिलैक्शन में अपनी कंपनी के लिए उपयुक्त स्टाफ तलाश करने आए शहर के जानेमाने उद्योगपति ने मीरा को अपनी पुत्रवधु के रूप में चुन लिया. उन का इंजीनियर बेटा हर तरह से मीरा के उपयुक्त था. हालांकि उन की कोई मांग न थी, फिर भी मीरा की शादी उस की ससुराल वालों की हैसियत के अनुरूप ही की गई. मीरा की शादी के बाद विद्या बहुत अकेली पड़ गई थी.
उस ने पति से लौट आने का अनुरोध किया लेकिन वापस आने से पहले वे सचिन की शादी भी उतनी ही धूमधाम से करना चाहते थे और उस के लिए पैसा चाहिए था. सचिन की पसंद की लड़की से बहुत हर्षोल्लास से उस की शादी हो गई. सब मेहमान भी चले गए थे और सचिन, रूपम हनीमून पर. विद्या एकांत में कुछ समय पति के साथ गुजारने का सपना देख रही थी कि पति के मित्र रंजीत सिंह, जो शादी में नहीं आ सके थे, पत्नी के साथ आ गए.
‘इतने वर्ष सऊदी में रहने से आप में तो औरतों से बात करने की अब आदत भी न होगी भाईसाहब,’ श्रीमती सिंह की चुहल पर विद्या भी हंस पड़ी. ‘ऐसी बात नहीं है भाभीजी और अब तो मैं सिंगापुर आ गया हूं, वहां तो बौस भी महिला है और स्टाफ में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं.’
‘ओह, तो यह बात है,’ रंजीत सिंह चहके, ‘आप की कंपनी की ब्रांच गुड़गांव में खुल गई है, अपना रघुपति तो वहां ट्रांसफर ले रहा है, आप भी गुड़गांव ट्रांसफर क्यों नहीं ले लेते या भाभीजी को ही सिंगापुर बुला लो, घुमाने के लिए ही सही.’
‘मैं आप की भाभी को सिंगापुर घुमाने के लिए ही गुड़गांव का ट्रांसफर टाल रहा हूं भई. बेटे को अकेला छोड़ कर यह चलने वाली थी नहीं, सो बेटे की शादी करवानी जरूरी थी. सचिन, रूपम के हनीमून से लौटते ही मैं सिंगापुर ले जाऊंगा आप की भाभी को और फिर वहां उन के साथ जीभर कर घूमने के बाद, वहां से ट्रांसफर ले कर इन के साथ ही वापस आ जाऊंगा गुड़गांव औफिस जौइन करने को.’
पति की बात सुन कर विद्या भावविभोर हो गई. दूसरों के सामने क्या शिकायत करती कि आप ने अब तक बताया क्यों नहीं? सिंह दंपती के जाते ही मीरा अपने बेटे मानव के साथ आ गई. ‘पापा, आप मनु के साथ जीभर कर खेलना चाह रहे थे न, सो आज खेल लीजिए, मैं और प्रणव एक क्लाइंट को ले कर लंच पर जा रहे हैं.’
‘इतमीनान से जा, हम संभाल लेंगे अपने नाती को,’ दोनों पतिपत्नी एकसाथ बोले. नयानया चलना सीखे मानव ने भागभाग कर नानानानी को थका दिया. जब वह नाना की जेब में लगे पैन को देखने उन की गोद में चढ़ा तो विद्या ने कहा, ‘‘इसे अब गोद में ही लिटा कर थपथपा कर सुलाने की कोशिश करिए.’’
मानव स्वयं भी थक चुका था, सो पैन से खेलते हुए उनींदा सा हो गया. तभी दूसरे कमरे में रखा पति का मोबाइल बजा. विद्या ने हाथ बढ़ा कर मानव को लेना चाहा लेकिन पति ने रोक दिया, ‘अभी ठीक से सोया नहीं है, उठ जाएगा. तुम देखो किस का फोन है.’
‘किसी पीआरपी का है.’‘स्पीकर पर लगा कर मेरे मुंह के पास ले आओ. मैं हिलाडुला, तो मानव जाग जाएगा.’विद्या ने वैसा ही किया और फोन चालू होते ही पति चहके, ‘बोलो प्रिया, कैसी हो?’‘बहुत बुरे हाल में… वही हो गया जिस का डर था. यानी क्षणिक सुख जी का जंजाल बन ही गया. उलटियां रुक ही नहीं रहीं और डाक्टर सूजी अड़ी हुई हैं कि फौरन एडमिट हो जाओ ताकि सोनोग्राफी के बाद तय कर सके कि औपरेशन कर के राहत देगी या उम्रभर का संत्रास ?ोलने को कहेगी. तुम यहां होते तो मु?ो हिम्मत रहती. वैसे सूजी डाक्टर से ज्यादा दोस्त है, फिर भी तुम्हारी…’ विद्या और नहीं सुन सकी. उस के हाथ से फोन छूट गया, लपक कर पकड़ने की कोशिश में हाथ टकराने से फोन उछल गया और फिर दीवार से टकरा कर गिरने से उस के टुकड़ेटुकड़े हो गए.
‘तुम्हारा ध्यान किधर है विद्या?’ पति गुस्से में लालपीले होते हुए चिल्लाए, ‘फोन तोड़ दिया और उसी के साथ ही मेरे सब के साथ संपर्क. प्रिया इतनी परेशानी में है और मेरे पास उस का नंबर ही नहीं रहा.’‘तो खुद ही चले जाओ न उस के पास आज ही, बल्कि अभी. मेरी जिंदगी में और मेरे घर में तुम्हारे जैसे गिरे हुए व्यक्ति के लिए कोई जगह नहीं है जो गोद में नाती को लिटा कर प्रेयसी के गर्भवती होने की खबर सुने,’ विद्या चिल्लाई, ‘फौरन चले जाओ अपना सब सामान ले कर इस घर से, मैं तुम्हारी शक्ल भी देखना नहीं चाहती.’
विद्या ने लपक कर मानव को उठाया और दूसरे कमरे में चली गई. न तो किसी ने दरवाजा खटखटाया और न ही उस ने स्वयं खोला. बहुत देर के बाद मानव के जागने पर उसे ले कर बाहर आई. घर एकदम सूना था, ड्राइंगरूम का दरवाजा उड़का हुआ था.
विद्या के बोलने पर बरामदे में बैठी नौकरानी ने मानव को उस से ले लिया, ‘शैतान ने तो नानी को नानाजी को विदा करने तक न आने दिया.’
विद्या ने आभार से मानव की ओर देखा, ‘बहुत लाज रख ली इस ने आज. अगर यह न होता तो उसे न फोन की बातचीत सुनाई देती और न इस व्यभिचार का पता चलता.’‘तू इसे बाग में फूल दिखा सीता, मैं इस का दूध बना कर लाती हूं,’ मनोभाव छिपाते हुए विद्या रसोई में चली गई.
कुछ देर के बाद मीरा आई. चिंहुकते मानव को गोद में लेने के बावजूद उस के चेहरे पर तनाव था.‘अंदर चलेंगी मां, मु?ो आप से कुछ बात करनी है.’‘अगर यह बात तुम्हारे पापा के बारे में है तो मैं नहीं सुनूंगी न अभी और न फिर कभी. हमारे बीच में सब खत्म हो चुका है.’‘एक गलतफहमी की वजह से.’
‘नहीं, इतने साल एक खुशफहमी में जीने की वजह से,’ विद्या ने भी मीरा की बात काटी ‘बच्चे कितने भी बड़े क्यों न हो जाएं, इतने बड़े कभी नहीं होते कि मांबाप के यौन जीवन की बातें करें. बेहतर है तुम मानव को ले कर घर चली जाओ.’
‘मैं आज रात यहीं रुक रही हूं.’‘रुकने से फायदा? मैं तो कोई बात करने से रही,’ विद्या ने सपाट स्वर में कहा.‘तो भी मैं, बल्कि हम, यही रुक रहे हैं, कुछ देर में प्रणव भी आ जाएंगे. सीता को डिनर के बारे में आप बताएंगी कि मैं बता दूं?’
‘प्रणव को बता दो कि तुम घर आ रही हो. कितने रोज रुकोगे तुम लोग मेरे पास? जब अकेले रहना है तो आज से ही क्यों न रहूं और वैसे भी, अकेले रहने की आदत है ही मु?ो. आशा करती हूं तुम ने सचिन को यह बता कर उस का हनीमून खराब नहीं किया?’
मीरा ने इनकार में सिर हिलाया.‘बहुत अच्छा किया. उस के लौटने के बाद बात करेंगे, अभी तुम जाओ. मैं अपना खयाल खुद रख सकती हूं, आज ही नहीं उम्रभर. फिलहाल लोगों के कुछ पूछने पर यही कहना कि पापा अचानक लंबे अनुबंध पर सऊदी गए हैं. फिर क्या कहना होगा, सोच कर बताऊंगी.’
सचिन के लौटने के बाद मीरा चुप न रह सकी और उस ने सचिन को सब बताया. दोनों भाईबहन की गंभीर मुखमुद्रा देख कर विद्या हंस पड़ी, ‘मेरी खुशी को ले कर तुम उदास हो रहे हो न? तो अगर मु?ो खुश देखना चाहते हो तो मेरे सामने कभी भी अपने बाप का नाम न लेना और न कभी उदास या परेशान दिखना. मेरी खुशी तुम्हारी खुशहाली में छिपी है.’
विद्या की बात सुन कर दोनों के चेहरे पर दुविधा के भाव उभरे जिसे देख कर विद्या फिर बोली, ‘एक बात और हमेशा के लिए सुन लो, तुम दोनों अपने बाप से संबंध रखना चाहो तो बड़े शौक से रखो, मैं मना नहीं करूंगी और न ही कोई कसम दूंगी लेकिन अगर मेरी खुशी चाहते हो तो न तो कभी मेरे सामने उस का नाम लेना और न ही उस की वकालत करना.’
‘नहीं करेंगे मम्मी और इस बात का खयाल भी रखेंगे कि वे कभी इस घर में न आएं लेकिन जिज्ञासावश इतना जरूर जानना चाहेंगे कि कभी किसी सार्वजनिक स्थल पर आप की उन की मुलाकात हो गई तो आप क्या करेंगी?’ मीरा ने पूछा, ‘पैर पटकते हुए वहां से हट कर अपना तमाशा बनवाएंगी या शिष्टतापूर्वक औपचारिक बातचीत कर लेंगी?’
‘मुलाकात की संभावना तो नहीं है, फिर भी कभी हो ही गई, तो न तो अपना तमाशा बनवाऊंगी और न ही टूटा रिश्ता जोड़ूंगी,’ विद्या ने दृढ़ता से कहा.