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वह खिसियानी हंसी हंस कर बोला, ‘अच्छा बिटिया. उड़ा लो तुम भी मजाक हमारा,’ कह कर वह तेजी से बाहर चला गया. जैसा कि अनुमान था वह हमेशा की तरह शाम को 6 बजे लौटा, कमला को फिल्म दिखा कर व चाट खिला कर.

मां ने पूछा, ‘क्यों रे गोपी, कैसा है कमला का लड़का? दिखा दिया डाक्टर को?’

‘उसे तो मामूली सा बुखार था. डाक्टर बोला कि मौसमी बुखार है, अपनेआप ठीक हो जाएगा. बस, 2 रुपए की दवा दे दी.’

‘अच्छा, तो ला मेरे बाकी के रुपए,’ मां बोलीं.

वह जोर से हंस पड़ा और बोला, ‘वे तो खर्च हो गए.’

‘कैसे खर्च हो गए?’ मां ने बनते हुए पूछा.

‘कमला कहने लगी कि ‘गंगाजमुना’ लगी है सो उसे दिखा लाए.’

इंदु सोचने लगी, ‘60 रुपए माहवार पाने वाला यह बेवकूफ नौकर 40 रुपए तो अब तक खर्च कर चुका है. क्या है उस कालीकलूटी में जो यह उस के पीछे दीवाना है. वह तो कभी बच्चों की बीमारी के बहाने तो कभी अपनी बीमारी के बहाने इसे मूंड़ती रहती है. यह कैसा रिश्ता है इन के बीच?’

एक दिन उस ने मां से पूछ ही लिया, ‘कमला तो शादीशुदा है, 2 बच्चों की मां है. फिर यह गोपी की क्या लगती है?’

‘लगने को तो कुछ नहीं लगती पर सबकुछ है,’ मां ने टालने वाले अंदाज में कहा.

‘क्या मतलब?’ इंदु ने उत्सुकतापूर्वक गरदन ऊपर उठा कर कहा.

‘अभी तेरी उम्र नहीं है यह सब समझने की. चल, उठ कर अंगीठी जला,’ मां ने डांट लगाई.

इंदु को समझ नहीं आ रहा था कि अपनी जिज्ञासा कैसे शांत करे. परंतु एक दिन उस ने पड़ोस की भाभी को पटा लिया.

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